
याकूब मेमन की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सन 1993 में मुंबई हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी के मुद्दे ने सुप्रीम कोर्ट में भी हलचल मचा दी है।
कोर के सवाल उठाने पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बार-बार दया याचिका दाखिल करना ठीक नहीं है। यह विकल्पों का दुरुपयोग है, इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। अगर दया याचिका बार-बार दाखिल करने की अनुमति दी जाती है तो इससे पूरी प्रक्रिया में देरी होगी। इससे कानूनी प्रक्रिया किसी नतीजे पर नहीं पहुंचेगी। सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिका संबंधी कानूनों को को लेकर इस मामले मे केंद्र सरकार से कई सवाल पूछे।
कोर्ट ने कहा कि अगर राष्ट्रपति किसी की रहम की अपील खारिज कर दे तो क्या राज्य का राज्यपाल दोबारा रहम की अपील पर गौर कर सकते हैं ? अगर राज्यपाल अपील मंजूर कर दोषी को राहत दे-दे तो क्या यह राष्ट्रपति के लिए शर्मिंदगी की बात नहीं होगी ? केंद्र बताए कि क्या इस मुद्दे को लेकर कोई कानून बनाने की जरूरत है, या पहले से कोई प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
हालांकि याकूब मेमन का नाम नहीं लिया गया, लेकिन कहीं न कहीं कोर्ट उसी मामले की ओर इशारा कर रहा है. याकूब मेमन के भाई ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई थी जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके बाद मेमन ने अब राज्यपाल के पास दया याचिका लगाई है। उक्त सवाल राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के मामले की सुनवाई कर रही पांच जजों की संविधान पीठ ने उठाए हैं।
सॉलीसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि वह ग्रह मंत्रालय से निर्देश लेकर गुरुवार को कोर्ट को बताएंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि अगर स्टेट एक्ट के तहत मामला हो तो दोषी राज्यपाल के पास दया याचिका लगा सकता है।
सुनवाई के दौरान केंद्र ने कोर्ट को बताया कि इस बारे में गृह मंत्रालय ने प्रक्रिया बनाई है। अगर परिस्थितियों में बदलाव हुआ है तो राज्यपाल के पास दया याचिका लगाई जा सकती है और राज्यपाल याचिका पर फैसला कर सकते हैं।
कोर के सवाल उठाने पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बार-बार दया याचिका दाखिल करना ठीक नहीं है। यह विकल्पों का दुरुपयोग है, इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। अगर दया याचिका बार-बार दाखिल करने की अनुमति दी जाती है तो इससे पूरी प्रक्रिया में देरी होगी। इससे कानूनी प्रक्रिया किसी नतीजे पर नहीं पहुंचेगी। सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिका संबंधी कानूनों को को लेकर इस मामले मे केंद्र सरकार से कई सवाल पूछे।
कोर्ट ने कहा कि अगर राष्ट्रपति किसी की रहम की अपील खारिज कर दे तो क्या राज्य का राज्यपाल दोबारा रहम की अपील पर गौर कर सकते हैं ? अगर राज्यपाल अपील मंजूर कर दोषी को राहत दे-दे तो क्या यह राष्ट्रपति के लिए शर्मिंदगी की बात नहीं होगी ? केंद्र बताए कि क्या इस मुद्दे को लेकर कोई कानून बनाने की जरूरत है, या पहले से कोई प्रक्रिया निर्धारित की गई है।
हालांकि याकूब मेमन का नाम नहीं लिया गया, लेकिन कहीं न कहीं कोर्ट उसी मामले की ओर इशारा कर रहा है. याकूब मेमन के भाई ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई थी जिसे खारिज कर दिया गया था। इसके बाद मेमन ने अब राज्यपाल के पास दया याचिका लगाई है। उक्त सवाल राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के मामले की सुनवाई कर रही पांच जजों की संविधान पीठ ने उठाए हैं।
सॉलीसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि वह ग्रह मंत्रालय से निर्देश लेकर गुरुवार को कोर्ट को बताएंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि अगर स्टेट एक्ट के तहत मामला हो तो दोषी राज्यपाल के पास दया याचिका लगा सकता है।
सुनवाई के दौरान केंद्र ने कोर्ट को बताया कि इस बारे में गृह मंत्रालय ने प्रक्रिया बनाई है। अगर परिस्थितियों में बदलाव हुआ है तो राज्यपाल के पास दया याचिका लगाई जा सकती है और राज्यपाल याचिका पर फैसला कर सकते हैं।
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