विज्ञापन
This Article is From Dec 04, 2015

सहिष्णु माहौल बनाने की जिम्मेदारी लेखकों पर भी : अष्टभुजा शुक्ल

सहिष्णु माहौल बनाने की जिम्मेदारी लेखकों पर भी : अष्टभुजा शुक्ल
लखनऊ: देश में असहिष्णुता को लेकर छिड़ी बहस के बीच वरिष्ठ कवि अष्टभुजा शुक्ल ने कहा कि लेखकों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपनी लेखनी के बल पर समाज में सहिष्णु माहौल बनाए रखने में मदद करें।

हाल ही में इफ्को की ओर से 5वें श्रीलाल शुक्ल स्मृति सम्मान के लिए चयनित किए गए शुक्ल ने यह भी कहा कि सरकार यदि वास्तव में साहित्यकारों से बातचीत करने को तैयार है तो उसकी कथनी और करनी में अंतर नहीं दिखना चाहिए।

बातचीत की सरकार की पहल अच्छी
शुक्ल ने कई मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की। यह जिक्र किए जाने पर कि देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में साहित्यकारों को आश्वस्त किया था कि वह खुद लेखकों व साहित्यकारों के साथ बैठकर बातचीत करने को तैयार हैं, शुक्ल ने कहा, "यह अच्छी पहल है और एक उदार दृष्टिकोण का परिचायक भी है, लेकिन सरकार की कथनी और करनी में अंतर नहीं दिखना चाहिए।"

यह एक सहकारी सम्मान है न कि सरकारी
यह पूछे जाने पर कि वह ऐसे समय में एक साहित्य सम्मान ले रहे हैं, जब देश में बढ़ती असहिष्णुता को लेकर जोरदार बहस छिड़ी हुई है, और चालीस से अधिक साहित्यकार पुरस्कार लौटा चुके हैं, उन्होंने कहा, "लोग साहित्य सम्मान लौटा रहे हैं। लेने से इनकार नहीं कर रहे हैं। मैं जो सम्मान ग्रहण करने वाला हूं, वह एक सहकारी सम्मान है न कि सरकारी। इसीलिए इसे लेने का साहस मैं दिखा रहा हूं।"

मानसिक तौर पर पिछड़े नहीं हैं
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के रहने वाले अष्टभुजा शुक्ला पेशे से अध्यापक हैं और उन्हें इस बात का भी दर्द है कि उनके गांव दीक्षापार तक जाने के लिए एक अच्छी सड़क नहीं है। उन्होंने इस दर्द को बयां करते हुए कहा, "मैं पूर्वांचल से हूं। यह काफी पिछड़ा इलाका माना जाता है। हम सामाजिक रूप से पिछड़े तो हैं, लेकिन मानसिक तौर पर पिछड़े नहीं हैं।"

उन्होंने कहा, "आप देखिए कि दिल्ली में यदि डेंगू के चार मरीज सामने आ जाते हैं तो वह बड़ी खबर बन जाती है, लेकिन यदि पूर्वांचल में इंसेफलाइटिस जैसी बीमारी के कहर से प्रतिवर्ष लगभग 300 शिशुओं की मौत हो जाती है, लेकिन यह सरकार के लिए मायने नहीं रखता।"

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में हुए दादरी कांड का जिक्र करने पर शुक्ल ने कहा, "जिस दादरी की आप बात कर रहे हैं, वह सामाजिक रूप से विकसित इलाका है। विकसित इलाके में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, यह दुखद है। इसके विपरीत, पूर्वांचल में सामाजिक पिछड़ापन है, न कि मानसिक पिछड़ापन।"

महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहा है
उन्होंने कहा कि समाज हिंसक होता जा रहा है, महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहा है। समाज को सचेत होने की जरूरत है। यदि आज समाज में एक अफवाह के दम पर दादरी जैसी घटना को अंजाम दिया जा रहा है, तो निश्चित तौर पर माना जाएगा सहिष्णुता में कमी आ रही है। इसे झुठलाने और असहिष्णुता की बात करने वालों पर 'असहिष्णुता' दिखाने से काम नहीं चलेगा। इस कमी को दूर करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने पाए।

वर्ष 1954 में जन्मे वरिष्ठ कवि अष्टभुजा शुक्ल को श्रीलाल शुक्ल स्मृति सम्मान के रूप में 11 लाख रुपये नकद और प्रशस्ति-पत्र भेंट किया जाएगा। उनके चर्चित काव्य-संग्रह हैं 'पद कुपद', 'चैत के बादल', 'दु:स्वप्न भी आते हैं' और 'इस हवा में अपनी भी दो-चार सांसें हैं'। उन्हें वर्ष 2009 में केदार सम्मान से नवाजा गया था। इससे पहले यह सम्मान कथाकार विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव और मिथिलेश्वर को मिल चुका है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
जम्मू कश्मीर चुनाव को लेकर महिलाओं में कैसा उत्‍साह... जानें किस पार्टी के उम्‍मीदवार सबसे ज्‍यादा अमीर?
सहिष्णु माहौल बनाने की जिम्मेदारी लेखकों पर भी : अष्टभुजा शुक्ल
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Next Article
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com