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This Article is From Dec 24, 2018

सबरीमाला में प्रदर्शनकारी हुए हिंसक, दर्शन के लिए जा रही 11 महिलाओं को वापस लौटना पड़ा

सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन की चाह रखने वाली तमिलनाडु की 11 महिलाओं के एक समूह को रविवार को प्रदर्शनकारियों के हिंसक होने पर यात्रा को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा.

सबरीमाला में प्रदर्शनकारी हुए हिंसक, दर्शन के लिए जा रही 11 महिलाओं को वापस लौटना पड़ा
प्रतिकात्मक चित्र
सबरीमाला:

सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन की चाह रखने वाली तमिलनाडु की 11 महिलाओं के एक समूह को रविवार को प्रदर्शनकारियों के हिंसक होने पर यात्रा को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस दौरान पुलिस ने दो दर्जन प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया. महिलाओं के इस समूह का नेतृत्व सेल्वी कर रही थीं, जिनका संबंध तमिलनाडु के मनिति महिला समूह से है. भक्तों द्वारा पहाड़ी पर चढ़ने से उन्हें रोकने और भगाने पर इन महिलाओं को पंबा से मदुरै के लिए वापस जाने को बाध्य होना पड़ा. 10 से 50 साल की आयु वर्ग की 11 महिलाएं भगवान अय्यपा के दर्शन के लिए पंबा शहर सुबह 5.30 बजे पहुंची थीं और वे सुबह 11 बजे तक बैठी रहीं.

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महिलाएं पहाड़ी की चढ़ाई के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग कर रही थीं, लेकिन, पारंपरिक अय्यपा भक्त भी शिविर पर जमा थे और उन्हें पहाड़ी पर चढ़ने नहीं दे रहे थे. सुबह पंबा पहुंचने पर महिलाओं का समूह मंदिर की तरफ जाने के रास्ते के एक तरफ खड़ा हो गया, जबकि प्रदर्शनकारी दूसरे तरफ खड़े होकर नारे लगाने लगे. उन्होंने फैसला किया कि महिलाओं को ऊपर की तरफ जाने नहीं देंगे. प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी जारी रखी और महिलाओं के समूह के साथ डरावने ढंग से पेश आए और उन्हें ऊपर मंदिर की तरफ नहीं जाने की धमकी दी.

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यह 11.30 बजे का वक्त था जब केरल पुलिस को 20 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेना पड़ा. इसके बाद तत्काल वहां सैंकड़ों दूसरे प्रदर्शनकारी पहुंच गए, जिससे पुलिस व तमिल महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए भागने पर मजबूर होना पड़ा. पुलिस अधीक्षक कार्तिकेयन ने बताया की सेल्वी की अगुवाई वाले महिलाओं के समूह ने पंबा के निकट एक पुलिस वाहन के अंदर शरण लिया. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बीती 28 सितंबर को हर आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने का फैसला किए जाने के बाद से सबरीमाला में हिंदू समूहों द्वारा लगातार इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. उनका कहना है कि यह फैसला धार्मिक परंपरा के खिलाफ है. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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