मुंबई पुुलिस (फाइल फोटो)
मुंबई:
म्याउ म्याउ ड्रग मामले मे मुंबई पुलिस की लगातार किरकीरी हो रही है। पहले आरोपी पुलिस वालों को जमानत मिली और अब ड्रग माफिया बेबी उर्फ शशिकला पाटणकर को भी जमानत मिल गई। सत्र न्यायालय ने बेबी को 5 लाख के बेल बांड पर जमानत दे दी।
पुलिस की मानें तो बेबी पाटणकर मुंबई की सबसे बड़ी ड्रग माफिया है जो कुछ पुलिस वालों से मिलकर नशे का काला कारोबार चलाती है और उसके पास मुंबई और पुणे में करोड़ों की संपत्ति, 22 बैंक अकाउंट लाखों रुपये इसके अलावां तकरीबन 1.45 करोड़ की एफडी है।
9 मार्च को मुंबई के मरीन ड्राईव पुलिस स्टेशन का ही एक हवलदार धर्मराज कालोखे सातारा में में गिरफ्तार हुआ। आरोप लगा कि उसने गांव में अपने पड़ोस के घर में 150 किलो एम डी यानी कि मेफेड्रोन ड्रग छिपाकर रखा था।
पूछताछ के बाद मरीन ड्राईव पुलिस स्टेशन में उसके लॉकर से भी 12 किलो एमडी ड्रग मिला। कालोखे ने पुलिस को बताया कि ड्रग की वो खेप बेबी पाटणकर ने उसे दी थी।
ड्रग के धंधे में अपने ही एक पुलिस वाले के शामिल होने से शर्मसार पुलिस ने दाग साफ करने की कोशिश में पांच और पुलिस वालों को गिरफ्तार कर लिया। जिनमें एक खुद मुंबई पुलिस के एंटी नारकोटिक्स सेल के सीनियर पीआई सुहाश गोखले भी शामिल थे। उन पर बेबी को बचाने का आरोप लगा। बेबी की भी गिरफ्तारी हुई।
लेकिन जैसे ही एफएसएल की रिपोर्ट आई पूरा पासा पलट गया।
पता चला कि पुलिस हवलदार कालोखे के गांव और लॉकर से मिला पाउडर ड्रग ना होकर अजीनो मोटो है जो चाईनीज खानों में स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बस फिर क्या था। एफएसएल की रिपोर्ट को आधार बनाकर आरोपियों ने केस को ही चुनौती देना शुरू कर दिया। नतीजा पहले मामले में गिरफ्तार 5 पुलिस वालों की एक एक कर जमानत हुई। अब बेबी पाटणकर की भी जमानत हो गई।
बेबी पाटणकर के वकील नारायण गवणकर के मुताबिक पुलिस ने बेबी पाटणकर को सिर्फ आरोपी पुलिस हवलदार धर्मराज कालोखे के बयान पर गिरफ्तार किया। जबकि बेबी के पास से कोई एमडी ड्रग नहीं मिला था। उस पर कालोखे को जो ड्रग देने का आरोप भी लगा था वो भी साल 2014 में दिया था। लेकिन तब एमडी ड्रग एनडीपीएस कानून के तहत प्रतिबंधित नहीं था।
पुलिस की मानें तो बेबी पाटणकर मुंबई की सबसे बड़ी ड्रग माफिया है जो कुछ पुलिस वालों से मिलकर नशे का काला कारोबार चलाती है और उसके पास मुंबई और पुणे में करोड़ों की संपत्ति, 22 बैंक अकाउंट लाखों रुपये इसके अलावां तकरीबन 1.45 करोड़ की एफडी है।
9 मार्च को मुंबई के मरीन ड्राईव पुलिस स्टेशन का ही एक हवलदार धर्मराज कालोखे सातारा में में गिरफ्तार हुआ। आरोप लगा कि उसने गांव में अपने पड़ोस के घर में 150 किलो एम डी यानी कि मेफेड्रोन ड्रग छिपाकर रखा था।
पूछताछ के बाद मरीन ड्राईव पुलिस स्टेशन में उसके लॉकर से भी 12 किलो एमडी ड्रग मिला। कालोखे ने पुलिस को बताया कि ड्रग की वो खेप बेबी पाटणकर ने उसे दी थी।
ड्रग के धंधे में अपने ही एक पुलिस वाले के शामिल होने से शर्मसार पुलिस ने दाग साफ करने की कोशिश में पांच और पुलिस वालों को गिरफ्तार कर लिया। जिनमें एक खुद मुंबई पुलिस के एंटी नारकोटिक्स सेल के सीनियर पीआई सुहाश गोखले भी शामिल थे। उन पर बेबी को बचाने का आरोप लगा। बेबी की भी गिरफ्तारी हुई।
लेकिन जैसे ही एफएसएल की रिपोर्ट आई पूरा पासा पलट गया।
पता चला कि पुलिस हवलदार कालोखे के गांव और लॉकर से मिला पाउडर ड्रग ना होकर अजीनो मोटो है जो चाईनीज खानों में स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बस फिर क्या था। एफएसएल की रिपोर्ट को आधार बनाकर आरोपियों ने केस को ही चुनौती देना शुरू कर दिया। नतीजा पहले मामले में गिरफ्तार 5 पुलिस वालों की एक एक कर जमानत हुई। अब बेबी पाटणकर की भी जमानत हो गई।
बेबी पाटणकर के वकील नारायण गवणकर के मुताबिक पुलिस ने बेबी पाटणकर को सिर्फ आरोपी पुलिस हवलदार धर्मराज कालोखे के बयान पर गिरफ्तार किया। जबकि बेबी के पास से कोई एमडी ड्रग नहीं मिला था। उस पर कालोखे को जो ड्रग देने का आरोप भी लगा था वो भी साल 2014 में दिया था। लेकिन तब एमडी ड्रग एनडीपीएस कानून के तहत प्रतिबंधित नहीं था।
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