महाराष्ट्र में एमआईएम को मिली कामयाबी के बाद अटकलें चल रही हैं कि दिल्ली चुनाव में भी ये पार्टी अपनी किस्मत आज़मा सकती है। इस बात को लेकर भी हिसाब-किताब हो रहा है कि अगर पार्टी ने यहां चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया, तो ज़्यादा नुकसान किसे होगा, आम आदमी पार्टी या कांग्रेस को और लाभ किसे होगा, बीजेपी को या एमआईएम इन सबके लाभ-हानि की परवाह किए बग़ैर एक दो सीट जीतकर खाता खोल लेगी।
इन्हीं सब सवालों को लेकर मैंने सुबह एमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी को फोन किया। औवैसी ने कहा है कि दिल्ली चुनाव के बारे में पार्टी ने इस वक्त हां या न किसी प्रकार का फ़ैसला नहीं किया है। कुछ लोग ज़रूर संपर्क में आए हैं, जो चाहते हैं कि वो एमआईएम के टिकट पर चुनाव लड़ें, लेकिन हमारी पार्टी का एक मत साफ है। हम किसी दूसरी पार्टी के नाराज़ नेताओं को लेकर अपना आधार नहीं बनाना चाहते हैं। हम जहां भी कदम रखने का फ़ैसला करते हैं, नया और अच्छा उम्मीदवार खोजते हैं।
फिलहाल हम महाराष्ट्र की चुनावी रणनीति में मर-खप कर आए हैं। दिल्ली में हमारी पार्टी का कोई आधार नहीं है। संगठन भी नहीं है। इसके बावजूद अगर कोई अच्छा और सही उम्मीदवार मिला, तो चुनाव में उतरने की सोच सकते हैं। लेकिन आज आपका सवाल यह है कि क्या एमआईएम ने फैसला कर लिया है, तो जवाब यही है कि हम स्थिति का मूल्यांकन कर रहे हैं। पार्टी के भीतर बात-विचार हो रहा है, मगर कोई फैसला नहीं हुआ है।
हाल ही में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एमआईएम के दो विधायक चुने गए हैं। कुछ सीटों पर पार्टी ने हार कर भी राज्य की स्थापित पार्टियों को चौंकाया है। महाराष्ट्र में एमआईएम ने चार दलित उम्मीदवारों को भी उतारा था। कर्नाटक में मार्च, 2013 के स्थानीय निकायों के चुनाव में एमआईएम के छह पार्षद चुने गए थे।
ओवैसी ने 'इंडियन एक्सप्रेस' में छपे कांग्रेस नेता प्रनीति शिंदे के बयान पर भी एतराज़ जताया। प्रनीति शिंदे का बयान है कि एमआईएम देश के हित के ख़िलाफ नहीं है। उन्होंने कभी अपने विचारों को लोकतांत्रिक मंच पर रखने का प्रयास नहीं किया है। मैं चाहती हूं कि एमआईएम को बैन कर देना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि दस साल तक यूपीए सरकार के दौरान हम सहयोगी दल रहे हैं। जब प्रनीति के पिता (सुशील कुमार शिंदे) गृहमंत्री थे, तब भी हम उनसे मिला करते थे। क्या उन्हें कभी लगा कि वे किसी आतंकवादी या देशविरोधी नेता से बोल रहे हैं।
ओवैसी ने कहा कि महाराष्ट्र चुनाव में हमारे जितने भी भाषण हुए हैं सभी यू-ट्यूब पर हैं। मेरी आलोचना से पहले उन भाषणों को सुना जाना चाहिए। मुझे कई जगहों पर भाषण से पहले पुलिस ने नोटिस दिया कि भड़काऊ भाषण न करूं। क्या ऐसा किसी और के साथ हुआ है कि नेता मंच पर पहुंचा और उन्हें पहले से नोटिस पकड़ा दी गई। फिर भी इस निगरानी के बावजूद हमने भड़काऊ भाषण दिया है, तो उसे पहले सामने तो लाया जाए।
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