कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों (Corona Third Wave Children) के बड़े पैमाने पर चपेट में आने की आशंका विशेषज्ञों ने व्यक्त की है. इस पर सरकार की ओर से भरोसा दिया गया है कि बच्चों को कोरोना के कहर से बचाने के लिए दो से ढाई गुना तैयारी की गई है.बच्चों में ज्यादातर बिना लक्षण (asymptomatic) मामले हैं, गंभीर केस बहुत कम हैं. नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल (NITI Aayog member VK Paul) ने कहा कि अगर वायरस अपना बिहेवियर बदल ले तो बच्चों को खतरा बढ़ सकता है. बच्चों के लिए जो बंदोबस्त करना है वो करेंगे. बच्चों की मजबूत इम्यूनिटी (Child Immunity) के कारण 2-3% को ही अस्पताल की जरूरत पड़ती है.
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बच्चों में कोरोना के दो रूप दिखते हैं, एक में बुखार, खांसी और निमोनिया और फिर अस्पताल में दाखिल करना. दूसरे रूप में 2 से 6 हफ्ते बाद रिकवरी के कुछ बच्चे में दोबारा फीवर, रैश, डायरिया, सांस फूलने की समस्या हो सकती है, रक्तस्राव जैसी शिकायत हो सकती है. पॉल ने कहा कि भारत में कोविशील्ड के दो डोज लगेंगे। इसमें कोई बदलाव नहीं है. कोरोना की कई वैक्सीन का घोल बनाकर नया डोज तैयार करने और उसके प्रभाव पर भी पॉल ने अपनी राय रखी. उन्होंने कहा, ये साइंस का मुद्दा है और अभी साइंस ही इसे देखेगी. तब तक कोई मिक्सिंग नही होगी.जब बदलाव होगा तो हम जानकारी देंगे.
स्वास्थ्य सचिव लव अग्रवाल (Lav Agarwal) ने कहा कि 7 मई को सबसे ज्यादा मामले भारत में आए थे और अब कोरोना के मामलों में 69% गिरावट देखने को मिली है. 43 दिनों से एक्टिव केस में गिरावट हो रही है.30 राज्यों में एक्टिव केस में हफ्ते भर से नीचे आ रहे हैं.पॉजिटिविटी एक वक्त 21.38% तक पहुंच गई थी. अब 6.62% हो गई है.
वहीं आईसीएमआर के निदेशक बलराम भार्गव (ICMR Director Balram Bhargava) ने कहा कि टेस्टिंग और कंटेनमेंट की वजह से मामले कम हुए हैं. 350 ज़िलों में 5 % से कम पॉजिटिविटी रेट है. दिसंबर तक सभी लोगों का टीका लग जाएगा. जुलाई तक रोजाना करोड़ लोगों को टीका लगने लगेगा.
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