मणिपुर में कांग्रेस (Manipur Congress) इकाई ने कहा है कि अगर वो सत्ता में आते हैं तो राज्य से विवादास्पद अफस्पा (AFASPA) कानून को हटा देंगे. अफस्पा सुरक्षाबलों को अशांत क्षेत्रों में विशेषाधिकार देती है. उन्हें सैन्य अभियान के कानूनी कार्रवाई से छूट भी इस कानून के तहत मिलती है. मणिपुर उन राज्यों में शामिल हैं, जहां अगले साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं. कांग्रेस ने यह ऐलान ऐसे वक्त किया है, जब पूर्वोत्तर के ही नगालैंड (Nagaland) में सुरक्षाबलों के हाथों 14 ग्रामीणों की मौत का मामला गरमाया हुआ है. सेना के ऑपरेशन में हुई चूक और गलत पहचान के कारण ग्रामीणों को लेकर जा रहे एक ट्रक पर फायरिंग की गई थी. उसके बाद हिंसक प्रदर्शन में भी कई ग्रामीण मारे गए थे.
मणिपुर में सात विधानसभा क्षेत्रों को छोड़कर बाकी अन्य जगह अफस्पा कानून लागू है. मणिपुर कांग्रेस इकाई ने शनिवार को एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि अगर वो सत्ता में आती है तो पूरे राज्य से अफस्पा को हटा दिया जाएगा. तब तक कांग्रेस ने सत्तारूढ़ बीजेपी और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर दबाव बनाने का फैसला किया है, ताकि वो पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से तुरंत ही ये कानून वापस लेने का अनुरोध करें.
पार्टी ने कहा, कांग्रेस मांग करती है कि मुख्यमंत्री और मणिपुर की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी केंद्र सरकार पर इस बात के लिए दबाव डालें कि राज्य से अफस्पा तुरंत हटाया जाए. मणिपुर कैबिनेट भी अफस्पा हटाने के लिए केंद्र सरकार से तुरंत ही औपचारिक अपील करे.
कांग्रेस ने बीजेपी को यह भी याद दिलाया कि जब वो पहले सत्ता में थी तो राजधानी इंफाल समेत सात विधानसभा क्षेत्रों से उसने अफस्पा हटाया था. लिहाजा अगर कांग्रेस 2022 में सत्ता में वापसी करती है तो पूरी तरह से राज्य से इसे खत्म कर दिया जाएगा.
उधर, नगालैंड के मोन जिले की घटना के बाद सुरक्षाबलों पर कोई कार्रवाई न होने से नाराज लोगों ने शनिवार को विरोध में लंबा मार्च निकाला. नगालैंड पुलिस ने सैन्य ऑपरेशन में शामिल जवानों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया है. नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनार्ड संगमा ने भी कहा है कि अफस्पा कानून को अब हटा लिया जाना चाहिए.
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