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This Article is From Sep 20, 2021

पराली की समस्या से उबरेगी दिल्ली? जानें दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने क्या कहा

गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण में एक अहम रोल पराली का होता है, पूरे उत्तर भारत में इसका असर पड़ता है. कई क़ानून बनाये गये लेकिन समाधान नहीं निकला.

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पराली की समस्या से उबरेगी दिल्ली? जानें दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने क्या कहा
नई दिल्ली:

दिल्ली में ठंड के दस्तक देने से पहले प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है. पराली जलाने की वजह दिल्ली की हवा दूषित हो जाती है. इस समस्या से पार पाने के लिए दिल्ली सरकार अभी से तैयारी में जुट गई है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्य सरकार लगातार अलग-अलग विभागों के साथ बैठक कर विंटर एक्शन प्लान बना रही है. इन योजनाओं को 30 सितंबर तक तैयार करने का लक्ष्य है, फिर मुख्यमंत्री के साथ चर्चा कर इन योजनाओं की घोषणा कर दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण में एक अहम रोल पराली का होता है, पूरे उत्तर भारत में इसका असर पड़ता है. कई क़ानून बनाये गये लेकिन समाधान नहीं निकला. पूसा के साथ मिलकर हमने पिछले साल बायो डिकम्पोज़र का छिड़काव कराया जिसका काफी पॉजिटिव रिस्पॉन्स निकला. एयर क्वालिटी कमिशन में थर्ड पार्टी ऑडिट रिपोर्ट सौंपी है. पिछली बार कई किसानों ने कहा था कि इसे जल्दी तैयर कर लेना चाहिए था. पिछली बार 5 अक्टूबर से बायो डिकम्पोज़र घोल बनाना शुरू किया गया था. इस बार 24 सितंबर से घोल बनाने की शुरुआत करेंगे. इसे बनाने का काम खड़खड़ी नाहर में होगा, पिछली बार भी इसे यहीं तैयार किया गया था.

गोपाल राय ने कहा कि 29 सितंबर तक क्वांटिटी को दोगुना कर लेंगे और 5 अक्टूबर से जहां भी किसानों की डिमांड आएगी वहां छिड़काव शुरू कर देंगे. पिछली साल केवल नॉन-बासमती में 2000 एकड़ में छिड़काव कराया गया था. लेकिन इस बार बासमती या नॉन-बासमती, अगर हार्वेस्टर से उसकी कटिंग हुई है और खेत मे डंठल है तो निःशुल्क छिड़काव दिल्ली सरकार करेगी. 25 मेम्बर की एक कमेटी बनाई है जो किसानों की डिमांड का लेखा जोखा रखेगी. करीब 4 हज़ार एकड़ की डिमांड आई है, उसकी तैयारी हम शुरू कर चुके हैं. मांग बढ़ने पर और प्रोडक्शन बढ़ाया जाएगा.

उन्होंने कहा कि 1 एकड़ में 10 लीटर घोल की ज़रूरत पड़ती है. 1 एकड़ के लिए 4 कैप्सूल 250 ग्राम गुड़ और 150 ग्राम बेसन मिलाते हैं और इसको पकाते हैं. पिछली बार लगभग 25 लाख का खर्च आया था इस बार 50 लाख का खर्चा आने का अनुमान है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मिलने का समय मांगा था लेकिन अभी तक समय नहीं मिला है. अगर अभी सरकार निर्णय नहीं लेगी तो देर हो जाएगी. कम से कम पराली के लिए तुरंत निर्णय लेने की ज़रूरत है. हम इस बार 10 दिन पहले इस पूरी प्रक्रिया को शुरू करने जा रहे हैं. केंद्र से अपील है कि इसे इमरजेंसी स्थिति की तरह समझें.

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