नई दिल्ली:
राष्ट्रीय राजधानी में एक बच्ची से बलात्कार के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान एक पुलिस अधिकारी द्वारा एक युवती को थप्पड़ मारे जाने का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज दिल्ली पुलिस आयुक्त से घटना पर स्पष्टीकरण मांगा।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि वह हलफनामा दायर कर सपष्टीकरण दें कि यहां पांच वर्षीय बच्ची से बलात्कार की घटना के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान एक युवती को थप्पड़ क्यों मारा गया।
अलीगढ़ में 65 वर्षीय एक महिला को पुलिस द्वारा पीटे जाने की घटना पर भी संज्ञान लेते हुए पीठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को घटना पर हलफनामा दायर करने को कहा।
पुलिस ज्यादती की इस तरह की घटनाओं को ‘‘देश का अपमान’’ करार देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इन्हें रोका जाना चाहिए।
पीठ ने अलीगढ़ की घटना का हवाला देते हुए कहा, यहां तक कि कोई जानवर भी ऐसा नहीं करेगा जो देश के विभिन्न हिस्सों में हर रोज पुलिस अधिकारी कर रहे हैं। पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता गौरव भाटिया से पूछा, आपकी सरकार को शर्म आती है कि नहीं। न्यायालय ने राज्य सरकार की निन्दा करते हुए लाल बहादुर शास्त्री के उदाहरण को भी याद किया जब उन्होंने एक रेल दुर्घटना के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेल मंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया था।
पीठ ने कहा, आपकी समझ कहां चली गई? कहा, पुलिस अधिकारी किसी निहत्थी महिला को कैसे पीट सकते हैं?
न्यायालय ने यह टिप्पणी दिल्ली के एक अस्पताल में हाल में प्रदर्शन के दौरान एक एसीपी द्वारा एक युवती को कम से कम चार थप्पड़ मारे जाने की घटना के संदर्भ में की। एसीपी को बाद में निलंबित कर दिया गया था। पीठ ने जिस दूसरी घटना पर संज्ञान लिया, वह अलीगढ़ की है जहां छह साल की एक मासूम के साथ कथित बलात्कार और हत्या के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने एक बुजुर्ग महिला की पिटाई की।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि वह हलफनामा दायर कर सपष्टीकरण दें कि यहां पांच वर्षीय बच्ची से बलात्कार की घटना के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान एक युवती को थप्पड़ क्यों मारा गया।
अलीगढ़ में 65 वर्षीय एक महिला को पुलिस द्वारा पीटे जाने की घटना पर भी संज्ञान लेते हुए पीठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को घटना पर हलफनामा दायर करने को कहा।
पुलिस ज्यादती की इस तरह की घटनाओं को ‘‘देश का अपमान’’ करार देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इन्हें रोका जाना चाहिए।
पीठ ने अलीगढ़ की घटना का हवाला देते हुए कहा, यहां तक कि कोई जानवर भी ऐसा नहीं करेगा जो देश के विभिन्न हिस्सों में हर रोज पुलिस अधिकारी कर रहे हैं। पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता गौरव भाटिया से पूछा, आपकी सरकार को शर्म आती है कि नहीं। न्यायालय ने राज्य सरकार की निन्दा करते हुए लाल बहादुर शास्त्री के उदाहरण को भी याद किया जब उन्होंने एक रेल दुर्घटना के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेल मंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया था।
पीठ ने कहा, आपकी समझ कहां चली गई? कहा, पुलिस अधिकारी किसी निहत्थी महिला को कैसे पीट सकते हैं?
न्यायालय ने यह टिप्पणी दिल्ली के एक अस्पताल में हाल में प्रदर्शन के दौरान एक एसीपी द्वारा एक युवती को कम से कम चार थप्पड़ मारे जाने की घटना के संदर्भ में की। एसीपी को बाद में निलंबित कर दिया गया था। पीठ ने जिस दूसरी घटना पर संज्ञान लिया, वह अलीगढ़ की है जहां छह साल की एक मासूम के साथ कथित बलात्कार और हत्या के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने एक बुजुर्ग महिला की पिटाई की।
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