यह ख़बर 12 अगस्त, 2014 को प्रकाशित हुई थी

संसद भवन में एक कमरे को लेकर आपस में भिड़े टीडीपी और टीएमसी के सांसद

नई दिल्ली:

संसद भवन के एक कमरे को लेकर विवाद छिड़ गया है और तृणमूल के सदस्यों ने कमरे के बाहर लगीं तेदेपा की नेमप्लेट हटाकर इस पर अपना दावा किया है, जो पिछले कई साल से तेदेपा के पास रहा है।

विवाद की वजह बना है पहले तल पर स्थित कमरा नंबर-5, जो पिछले कई साल से तेदेपा के पास है लेकिन बीते 6 अगस्त को इसे ममता बनर्जी की पार्टी को आवंटित कर दिया गया था।

तेदेपा को संसद भवन के तीसरे तल पर एक कमरा दिया गया है। हालांकि पिछले 30 साल से कमरा नंबर-5 का इस्तेमाल कर रही आंध्र प्रदेश की पार्टी का इस कमरे को खाली करने का इरादा नहीं है।

आज तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, कल्याण बनर्जी और सुल्तान अहमद कमरे में पहुंचे और उसके बाहर लगी तेदेपा सदस्यों की नेमप्लेट हटा दीं। उन्होंने दोपहर करीब 2:30 बजे कमरे में कुछ देर के लिए बैठक भी की। तृणमूल के दोनों सदनों में कुल 46 सदस्य हैं।

लेकिन करीब आधे घंटे बाद तेदेपा के सांसद वहां पहुंचे और उनकी मौजूदगी में उनकी पार्टी के नेताओं वाईएस चौधरी, टी नरसिंहन और सीएम रमेश के नाम की प्लेट वहां दोबारा से लगा दी गयीं।

चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि वे तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के इस व्यवहार को लेकर लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात करेंगे। चौधरी ने कमरे के विवाद के संबंध में कहा, 'तृणमूल कांग्रेस के असभ्य रवैये के कारण ऐसा हुआ है।'

इस घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर तेदेपा के लोकसभा सदस्य नारायण राव ने कहा, 'हमारे पास पिछले 30 साल से यह कमरा है। कुछ नेमप्लेट हटा दी गयीं। यह लोकतांत्रिक नहीं है।' उन्होंने कहा कि पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा में 25 सांसद हैं।

राव ने कहा कि सदस्यों को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा तय किए गए नियमों का पालन करना चाहिए और नेमप्लेट हटाना लोकतांत्रिक नहीं है।

लोकसभा सचिवालय में निदेशक डीएस माल्हा द्वारा जारी आवंटन पत्र में कहा गया है कि सक्षम प्राधिकार की मंजूरी के अनुसार कमरा नंबर-5 16वीं लोकसभा के कार्यकाल के लिए तृणमूल कांग्रेस को आवंटित किया गया है। पत्र में तृणमूल कांग्रेस से कक्ष को अपने अधिकार में लेने के लिए कहा गया है।

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लोकसभा में तृणमूल के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने बाद में कहा कि उनकी पार्टी के सांसदों ने शांतिपूर्ण तरीके से कमरे को अपने अधिकार में लिया। उन्होंने कहा, 'कोई जबरन कब्जा नहीं किया गया। हमने शांतिपूर्ण तरीके से यह किया। हम वहां गए और कुछ देर के लिए बैठे क्योंकि हम उसे अपने अधिकार में ले चुके थे।' बंदोपाध्याय ने कहा, 'तृणमूल कांग्रेस ने स्पीकर के कार्यालय से पत्र मिलने के बाद कमरे को अपने अधिकार में लिया।'