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This Article is From Oct 28, 2014

कॉरपोरेटर से मुख्यमंत्री बनने तक देवेंद्र फड़नवीस का राजनीतिक सफर

कॉरपोरेटर से मुख्यमंत्री बनने तक देवेंद्र फड़नवीस का राजनीतिक सफर
देवेंद्र फड़नवीस का मुखौटा लगाए उनके समर्थक (फाइल फोटो)
मुंबई:

कॉरपोरेटर से नागपुर के सबसे युवा मेयर बने देवेंद्र फड़नवीस महाराष्ट्र में बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री होंगे, जिन्होंने राजनीतिक सीढ़ियां क्रमिक रूप से चढ़ी हैं।

मराठा राजनीति और मराठा नेताओं के वर्चस्व वाले इस राज्य में 44 वर्षीय फड़नवीस की आरएसएस में गहरी जड़ें हैं। बीजेपी से अलग हो चुके सहयोगी दल शिवसेना के मनोहर जोशी के बाद वह ऐसे दूसरे ब्राह्मण नेता हैं जो मुख्यमंत्री बनेंगे।

विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद मृदुभाषी और युवा नेता फड़नवीस इस शीर्ष पद के लिए साफ तौर से पसंदीदा नेता हैं, जिनके लिए पार्टी की प्रदेश कमेटी के कई नेताओं ने काफी लॉबिंग की है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के भी भरोसेमंद हैं।

चुनाव रैली में मोदी ने उनके लिए कहा था, 'देवेंद्र देश के लिए नागपुर का तोहफा हैं।' हालांकि, मोदी ने लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान अमेरिकी तर्ज पर चुनाव प्रचार किया था पर इन चुनावों में मिली जबरदस्त जीत का श्रेय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष फड़नवीस को भी जाता है।

शिवसेना और स्वाभिमानी शेतकारी पक्ष के साथ इस भगवा गठबंधन ने 48 लोकसभा सीटों में से 42 पर जीत हासिल की थी।

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शिवसेना से नाता टूटने के बावजूद भाजपा ने 288 सदस्यीय सदन में 122 सीटें हासिल कीं जबकि 2009 में उसे 46 सीटें ही मिली थीं। फड़नवीस ने जिस तरह से चुनाव का प्रबंधन किया था उसे लेकर मोदी और शाह, दोनों ही नेताओं ने उनकी सराहना की है।

जन संघ से जुड़े रहे और बाद में बीजेपी के नेता बने दिवंगत गंगाधर फड़नवीस के बेटे देवेंद्र युवावस्था में ही राजनीति में उतर गए थे, जब वह 1989 में आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए थे। गंगाधर को नागपुर के उनके साथी नेता और पूर्व पार्टी प्रमुख नितिन गडकरी अपना 'राजनीतिक गुरू' कहते हैं।

महज 22 साल की उम्र में वह नागपुर स्थानीय निकाय से कॉरपोरेटर बन गए और 27 साल की आयु में 1997 में नागपुर के सबसे युवा मेयर चुने गए।

फड़नवीस ने 1999 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और इसमें जीत हासिल की। एक अलग विदर्भ राज्य के इस मजबूत पैरोकार ने फिर कभी पलटकर पीछे नहीं देखा और लगातार तीन विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की। वह फिलहाल सदन में नागपुर दक्षिण पश्चिम सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में कई नेताओं के उलट फड़नवीस बेदाग रहे हैं। कथित सिंचाई घोटाले को लेकर पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार को घेरने का श्रेय भी फड़नवीस को जाता है। विदर्भ क्षेत्र में किसानों की आत्महत्या के लिए इस घोटाले को कई लोग प्राथमिक रूप से जिम्मेदार ठहराते हैं।

विदर्भ का मुद्दा उनके दिल को इतना छू गया था कि अलग राज्य की मांग पर चर्चा के दौरान उन्होंने एक बार गुस्से में शिवसेना के एक विधायक को कह दिया था, 'विदर्भ से निकल जाओ।' हालांकि, शिवसेना अलग विदर्भ राज्य के गठन के लिए महाराष्ट्र के विभाजन का लगातार विरोध करती रही है।

फड़नवीस ने विधानसभा चुनाव के दौरान विदर्भ समर्थक अपनी आवाज धीमी कर दी, जब बीजेपी पर शिवसेना ने आरोप लगा दिया कि अगर वह सत्ता में आती है तो राज्य का विभाजन कर देगी। बीजेपी नेता ने कहा कि पार्टी प्रशासनिक सुविधा के लिए छोटे राज्यों के पक्ष में है लेकिन नए राज्यों का गठन केंद्र के दायरे में है।

फड़नवीस के पास विधि की डिग्री है और बिजनेस मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री है। उन्होंने अर्थशास्त्र में दो पुस्तकें भी लिखी हैं।

मुख्यमंत्री पद के लिए निवर्तमान विधासभा में विपक्षी नेता एकनाथ खडसे और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुधीर मुंगंतीवार के नाम पर भी चर्चा चल रही थी। पर फड़नवीस कभी मंत्री पद पर नहीं रहे हैं। वहीं, फड़नवीस के आलोचकों ने उनमें प्रशासिनक अनुभव की कमी की बात को उजागर किया है।

हालांकि, एक साफ सुथरी छवि होने और मोदी-शाह के मजबूत समर्थन के चलते नागपुर के इस युवा नेता ने विजेता के रूप में उभरने के लिए सारी बाधाओं को पार कर लिया।

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