सपा में संग्राम : 'साइकिल' सिंबल वाली इस पार्टी में भी इसी तरह हुआ सियासी तख्‍तापलट

सपा में संग्राम : 'साइकिल' सिंबल वाली इस पार्टी में भी इसी तरह हुआ सियासी तख्‍तापलट

चंद्रबाबू नायडू ने 1995 में टीडीपी में बगावत कर सत्‍ता हासिल की

रविवार को लखनऊ में जिस तरह का सियासी घटनाक्रम हुआ और अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव ने सियासी तख्‍तापलट करते हुए पार्टी की बागडोर हाथ ली, कमोबेश वैसी ही स्थिति तकरीबन दो दशक पहले दक्षिण के राज्‍य आंध्र प्रदेश में घटित हो चुकी है. यह घटना वहां की तेलुगु देसम पार्टी (टीडीपी) में घटित हुई. दिलचस्‍प बात यह है कि उस पार्टी का भी चुनाव चिन्‍ह सपा की ही तरह 'साइकिल' है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक उस दौर में जो टीडीपी में हुआ, कुछ वैसा ही इतिहास आज सपा में दोहराया जा रहा है.

बस अंतर इतना है कि आज अखिलेश यादव ने मुख्‍यमंत्री रहते हुए अपनी पार्टी में तख्‍तापलट किया है जबकि 1995 में आंध्र प्रदेश के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री और टीडीपी नेता एनटी रामाराव (एनटीआर) के खिलाफ उनके दामाद एन चंद्रबाबू नायडू ने ऐसा किया था.

जब टीडीपी में हुई बगावत...
आंध्र प्रदेश में नेता से अभिनेता बने एनटीआर ने 1982 में टीडीपी की स्‍थापना की. उनके नेतृत्‍व में पार्टी ने तीन चुनाव जीते. उनके नेतृत्‍व में अंतिम बार दिसंबर, 1994 में पार्टी भारी बहुमत से सत्‍ता में आई. पार्टी ने 294 में से 216 सीटें जीतीं और एनटीआर मुख्‍यमंत्री बने.

दरअसल 1992 में एनटीआर को दिल का दौरा पड़ा था और उसके बाद वह कमजोर हो गए थे. इस बीच उनके जीवन में लक्ष्‍मी पार्वती पार्टनर बनकर आईं. बेटे-बेटियों, नाती-पोतों से भरे-पूरे परिवार में लक्ष्‍मी पार्वती का आगमन एनटीआर के परिवार को रास नहीं आया. बाद में एनटीआर ने उनसे शादी कर ली. खराब स्‍वास्‍थ्‍य, बढ़ती उम्र के बीच लक्ष्‍मी पार्वती के आने से पार्टी और सरकार में उनका दबदबा बढ़ने लगा. इससे परिवार के अलावा, टीडीपी विधायकों, पार्टी नेताओं और अफसरशाही में नाराजगी बढ़ी. इस बीच जब इस तरह की खबरें आने लगीं कि एनटीआर अपनी राजनीतिक विरासत लक्ष्‍मी पार्वती को सौंप सकते हैं तो उनके परिवार ने भी साथ छोड़ दिया.

एन चंद्रबाबू नायडू
नतीजतन एनटीआर के दामाद एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्‍व में विशाखापत्‍तनम में 22 अगस्‍त, 1995 को पार्टी के भीतर बगावत हो गई. उनको 216 में से 198 विधायकों ने समर्थन दिया. नायडू ने एनटीआर को सीएम और पार्टी मुखिया की हैसियत से बेदखल कर दिया और पांच दिन बाद मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली.

एनटीआर के खेमे में मात्र 18 विधायक बचे. उन्‍होंने भी बाद में अपनी निष्‍ठा बदलते हुए नायडू का समर्थन किया. एनटीआर के पूरे परिवार ने नायडू का समर्थन किया. केवल उनकी बेटी डी पुरंदेश्‍वरी ने नायडू का विरोध किया. उसके साथ ही तेलुगु देसम पार्टी में एक नए युग का सूत्रपात हुआ और उसके बाद एन चंद्रबाबू नायडू ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. नायडू इस वक्‍त आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री हैं और टीडीपी केंद्र में बीजेपी के नेतृत्‍व वाले एनडीए की अहम सहयोगी पार्टी है.


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