नई दिल्ली:
अप्रैल 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम सियाचिन ग्लेशियर पर पहुंचने वाले पहले राष्ट्रपति थे।
वो कोई आम यात्रा नहीं थी, अप्रैल महीने में बेस कैंप से होते हुए सियाचिन ग्लेशियर जाने का मतलब होता है अत्याधिक ठंड में यात्रा करना, कभी-कभी दिन के वक़्त भी माइनस-ज़ीरो से भी कम तापमान में।
हमने राष्ट्रपति कलाम के वहां पहुंचने से पहले काफी तैयारियां की थीं, भारतीय सेना ने इस अभियान को कवर करने के लिए हमारे न्यूज़ चैनल को नॉमीनेट किया था और हम ये चाहते थे कि इस ईवेंट का लाइव प्रसारण करें, जो पहले कभी नहीं हुआ।
जब हम सैटेलाइट सिग्नल के लिए स्ट्रगल कर रहे थे, तब भारतीय सेना के जवान हमें बगैर बाधा की पॉवर सप्लाई देने की कोशिश में लगे थे।
राष्ट्रपति कलाम वहां सेना के सुप्रीम कमांडर के तौर पर आने वाले थे, वे यहां फैले हुए 72 किमी की ग्लेशियर पर तैनात भारतीय सैनिकों को पर्यावरण में हो रहे नुकसान के बारे में बोलने वाले थे।
कलाम पहले परतापुर स्थित भारतीय वासुसेना के सियाचिन ब्रिगेड के हेडकवार्टर्स पहुंचे थे, जो खरदुंगला पास के उत्तर में श्योक और नुब्रा नदी के बीच बना है।
जब राष्ट्रपति कलाम वहाँ पहुंचे तो हम उनका इंतज़ार कर रहे थे, हमें बता दिया गया था कि वे हमसे बहुत ज़्यादा बातचीत नहीं करेंगे। इसलिए मैं लगातार उनके पीछे-पीछे चल रहा था कि जैसे ही मौका मिले उनसे एक साउंड बाइट ले लूं।
अंत में हमारी नज़रें मिलीं, वे मुस्कुराए...और मैं समझ गया कि यहीं मुझे मेरा मिनी इंटरव्यू मिल जाएगा।
मैंने डॉ कलाम से पूछा कि, यहाँ तक आने में एक राष्ट्रपति को इतना वक़्त क्यों लग गया, मेरे सवाल के बाद राष्ट्रपति कलाम ने मेरी आंखों में आंख़ डालते हुए पूछा, बेटा पहले मुझे तुमसे कुछ पूछने दो, इस अचानक बदली परिस्थिती से मैं चौंक गया, ये सोच कर डर भी गया कि क्या मैंने भारत के राष्ट्रपति का अपमान कर दिया। फिर उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए पूछा कि तुमने नाश्ते में क्या खाया? मैंने कहा सर, अंडा और टोस्ट...उसके बाद राष्ट्रपति ने तकरीबन 30 सेकेंड तक मुझे अच्छे नाश्ते पर भाषण दिया। ये आपको दिनभर काम करने के लिए ताकत देता है। इसलिए नाश्ते में हमेशा पौष्टिक खाना लेना चाहिए।'
पूरी तरह से स्टंप होने के बाद मैंने हामी में सिर हिलाया। भारत के राष्ट्रपति ने एक रिपोर्टर की न्यूज़ पाने के मौके को उस चीज़ में बदल दिया जिसमें उनकी रुचि थी और वो भी बड़े प्यार..बिना किसी अतिरिक्त कोशिश के।
वो कोई आम यात्रा नहीं थी, अप्रैल महीने में बेस कैंप से होते हुए सियाचिन ग्लेशियर जाने का मतलब होता है अत्याधिक ठंड में यात्रा करना, कभी-कभी दिन के वक़्त भी माइनस-ज़ीरो से भी कम तापमान में।
हमने राष्ट्रपति कलाम के वहां पहुंचने से पहले काफी तैयारियां की थीं, भारतीय सेना ने इस अभियान को कवर करने के लिए हमारे न्यूज़ चैनल को नॉमीनेट किया था और हम ये चाहते थे कि इस ईवेंट का लाइव प्रसारण करें, जो पहले कभी नहीं हुआ।
जब हम सैटेलाइट सिग्नल के लिए स्ट्रगल कर रहे थे, तब भारतीय सेना के जवान हमें बगैर बाधा की पॉवर सप्लाई देने की कोशिश में लगे थे।
राष्ट्रपति कलाम वहां सेना के सुप्रीम कमांडर के तौर पर आने वाले थे, वे यहां फैले हुए 72 किमी की ग्लेशियर पर तैनात भारतीय सैनिकों को पर्यावरण में हो रहे नुकसान के बारे में बोलने वाले थे।
कलाम पहले परतापुर स्थित भारतीय वासुसेना के सियाचिन ब्रिगेड के हेडकवार्टर्स पहुंचे थे, जो खरदुंगला पास के उत्तर में श्योक और नुब्रा नदी के बीच बना है।
जब राष्ट्रपति कलाम वहाँ पहुंचे तो हम उनका इंतज़ार कर रहे थे, हमें बता दिया गया था कि वे हमसे बहुत ज़्यादा बातचीत नहीं करेंगे। इसलिए मैं लगातार उनके पीछे-पीछे चल रहा था कि जैसे ही मौका मिले उनसे एक साउंड बाइट ले लूं।
अंत में हमारी नज़रें मिलीं, वे मुस्कुराए...और मैं समझ गया कि यहीं मुझे मेरा मिनी इंटरव्यू मिल जाएगा।
मैंने डॉ कलाम से पूछा कि, यहाँ तक आने में एक राष्ट्रपति को इतना वक़्त क्यों लग गया, मेरे सवाल के बाद राष्ट्रपति कलाम ने मेरी आंखों में आंख़ डालते हुए पूछा, बेटा पहले मुझे तुमसे कुछ पूछने दो, इस अचानक बदली परिस्थिती से मैं चौंक गया, ये सोच कर डर भी गया कि क्या मैंने भारत के राष्ट्रपति का अपमान कर दिया। फिर उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए पूछा कि तुमने नाश्ते में क्या खाया? मैंने कहा सर, अंडा और टोस्ट...उसके बाद राष्ट्रपति ने तकरीबन 30 सेकेंड तक मुझे अच्छे नाश्ते पर भाषण दिया। ये आपको दिनभर काम करने के लिए ताकत देता है। इसलिए नाश्ते में हमेशा पौष्टिक खाना लेना चाहिए।'
पूरी तरह से स्टंप होने के बाद मैंने हामी में सिर हिलाया। भारत के राष्ट्रपति ने एक रिपोर्टर की न्यूज़ पाने के मौके को उस चीज़ में बदल दिया जिसमें उनकी रुचि थी और वो भी बड़े प्यार..बिना किसी अतिरिक्त कोशिश के।
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