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This Article is From Jan 04, 2014

कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ क्या समझौता होने जा रहा था? : अरुण जेटली

कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ क्या समझौता होने जा रहा था? : अरुण जेटली
नई दिल्ली:

पाकिस्तान के साथ एक समय कश्मीर मुद्दे के समाधान पर 'लगभग पहुंच चुकने' के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दावे के दूसरे दिन भाजपा ने आज ''उस विफल रहे समाधान'' की देश को विस्तृत जानकारी देने की मांग की।

पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने यहां संवाददाताओं से कहा, ''कश्मीर का वह संभावित समाधान क्या था? भारत की जनता को इस सवाल का जवाब जानने का अधिकार है।'' उन्होंने उम्मीद जताई कि कश्मीर मुद्दे का समाधान करने के प्रयास में भारत सरकार पाकिस्तान की दिशा में नहीं बढ़ रही है जिसका कि इस बारे में अधूरा एजेंडा है।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए नियंत्रण रेखा को कमजोर करने, उसका विसैन्यीकरण करने और कश्मीर पर त्रिपक्षीय व्यवस्था होने को 'सफलता' मानता है। ''मुझे उम्मीद है कि सरकार इस दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है।'' उन्होंने कहा कि प्रधामंत्री ने कल के अपने संवाददाता सम्मेलन में पहली बार रहस्योद्घाटन किया कि भारत और पाकिस्तान के खुफिया दूत एक बैठक में कश्मीर मुद्दे के समाधान पर लगभग पहुंच गए थे, लेकिन जब यह सफल होता नजर आ रहा था, तब पाकिस्तान के तत्कालीन शासक जनरल परवेज मुशर्रफ को सत्ता से हटना पड़ा और वह संभावित समझौता अटक गया।

भाजपा नेता ने कहा कि चूंकि प्रधानमंत्री ने पहली बार रहस्योद्घाटन किया है कि कश्मीर मुद्दे का 'समाधान लगभग' होने वाला था इसलिए यह जरूरी है कि वह इस संबंध में देश को विश्वास में लें कि 'उस विफल रहे समाधान' में क्या क्या बातें थीं।

प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी पर कि वर्तमान विपक्षी दल और मीडिया की बनिस्बत इतिहास उनके प्रति 'उदारता' दिखाएगा, पर व्यंग्य करते हुए जेटली ने कहा कि इतिहास को परखने देने का अवसर देने के लिए ही सही, सिंह कश्मीर मुद्दे के विफल रह गए उस संभावित समाधान के तथ्यों के बारे में देश को बताएं।

उन्होंने कहा कि कश्मीर पर पाकिस्तान का एजेंडा अधूरा है लेकिन भारत की इस मुद्दे पर स्थिति एकदम स्पष्ट है और वह यह है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।

संसद द्वारा सर्वसम्मति से 1994 में इस आशय का प्रस्ताव पारित करके कहा गया था कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारत का यह दृढ़ मत भी है कि कश्मीर मामले में किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है।

जेटली ने कहा कि भारत ने इतने वर्षों से कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण नहीं होने देने के अथक प्रयास किए हैं और उम्मीद है कि किसी भी संभावित समझौते में कश्मीर मुद्दे को लेकर हासिल किए गए लाभों को व्यर्थ नहीं किया जाएगा।

चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से आतंकी ढांचे को नष्ट किए बिना कश्मीर घाटी का विसैन्यीकरण किया जाना देश के लिए विनाशकारी साबित होगा।

जम्मू-कश्मीर को अलग दर्जा दिए जाने (अनुच्छेद 370) के 'नेहरूवादी दृष्टिकोण' को त्रुटिपूर्ण बताते हुए जेटली ने कहा कि यह 'अलग दर्जा पिछले कुछ सालों में अलगाववाद की ओर' ले गया है।

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