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This Article is From Oct 08, 2018

विशाखा गाइडलाइन : ऑफिसों में महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने के लिए क्या हैं नियम

'विशाखा गाइडलाइन्स' (Vishaka Guidelines) जारी होने के बाद वर्ष 2012 में भी एक अन्य याचिका पर सुनवाई के दौरान नियामक संस्थाओं से यौन हिंसा से निपटने के लिए समितियों का गठन करने को कहा था,

विशाखा गाइडलाइन : ऑफिसों में महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने के लिए क्या हैं नियम
फाइल फोटो
नई दिल्ली: कुछ ही दिन पहले पूर्व फिल्म अभिनेत्री तनुश्री दत्ता और अब कंगना रनौट द्वारा साथी कलाकारों व फिल्म निर्देशकों पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के चलते सोशल मीडिया पर आजकल एक बार फिर #MeToo हैशटैग ट्रेंड कर रहा है, और एक के बाद एक कई महिलाओं और लड़कियों ने अपने खिलाफ हुई हरकतों पर ज़ुबान खोली है. इसी संदर्भ में हाल ही कॉमेडी कलेक्टिव AIB के पूर्व-कॉमेडियन उत्सव चक्रवर्ती पर भी आरोप लगाए गए, और AIB ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. इनमें से लगभग सभी के साथ उनके कार्यस्थल पर गलत व्यवहार किया गया, सो, इन हरकतों के खिलाफ मुल्क में मौजूद सख्त कानूनों का ज़िक्र होना स्वाभाविक है. हमारे देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले इस तरह के अत्याचार के विरुद्ध कड़ा कानून सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के रूप में पहले से मौजूद है, जिन्हें 'विशाखा गाइडलाइन्स' (Vishaka Guidelines) के रूप में जाना जाता है.

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दरअसल, कुछ दशक पहले राजस्थान में हुए भंवरी देवी गैंगरेप केस के बाद महिलाओं के प्रति अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली संस्था विशाखा ने जो पेटिशन दायर की थी, उसी के मद्देनज़र साल 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा के लिए ये दिशानिर्देश जारी किए थे, और सरकार से आवश्यक कानून बनाने के लिए कहा था. 'विशाखा गाइडलाइन्स' (Vishaka Guidelines) जारी होने के बाद वर्ष 2012 में भी एक अन्य याचिका पर सुनवाई के दौरान नियामक संस्थाओं से यौन हिंसा से निपटने के लिए समितियों का गठन करने को कहा था, और उसी के बाद केंद्र सरकार ने अप्रैल, 2013 में 'सेक्सुअल हैरेसमेंट ऑफ वीमन एट वर्कप्लेस एक्ट' को मंज़ूरी दी थी. 'विशाखा गाइडलाइन्स' (Vishaka Guidelines)  के तहत किसी को भी गलत तरीके से छूना या छूने की कोशिश करना, गलत तरीके से देखना या घूरना, यौन संबंध स्थापित करने के लिए कहना या इससे मिलती-जुलती टिप्पणी करना, यौन इशारे करना, महिलाओं को अश्लील चुटकुले सुनाना या भेजना, महिलाओं को पोर्न फिल्में या क्लिप दिखाना - सभी यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है.

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क्या हैं विशाखा गाइडलाइन
  1. हर ऐसी कंपनी या संस्थान के हर उस कार्यालय (मुख्यालय या शाखा) में, जहां 10 या उससे ज़्यादा कर्मचारी हैं, एक अंदरूनी शिकायत समिति (इन्टर्नल कम्प्लेन्ट्स कमेटी या ICC) की स्थापना करना अनिवार्य होता है.
  2. ICC की अध्यक्ष महिला ही होगी और कमेटी में अधिकांश महिलाओं को रखना भी ज़रूरी होता है. इस कमेटी में यौन शोषण के मुद्दे पर ही काम कर रही किसी बाहरी गैर-सरकारी संस्था (NGO) की एक प्रतिनिधि को भी शामिल करना ज़रूरी होता है.
  3. कंपनी या संस्थान में काम करने वाली महिलाएं किसी भी तरह की यौन हिंसा की शिकायत ICC से कर सकती हैं. यह कंपनी अथवा संस्थान का उत्तरदायित्व होगा कि शिकायतकर्ता महिला पर किसी भी तरह का हमला न हो, या उस पर कोई दबाव न डाला जाए.
  4. कमेटी को एक साल में उसके पास आई शिकायतों और की गई कार्रवाई का लेखाजोखा सरकार को रिपोर्ट के रूप में भेजना होगा. अगर कमेटी किसी को दोषी पाती है, तो उसके खिलाफ IPC की संबंधित धाराओं के अलावा अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जानी होगी.

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