बंगाल BJP अध्यक्ष दिलीप घोष बोले- UP की तरह यहां भी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को मारेंगे गोली

पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने एक जनसभा में कहा कि उत्तर प्रदेश की तरह ही पश्चिम बंगाल में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को गोली मार देंगे.

बंगाल BJP अध्यक्ष दिलीप घोष बोले- UP की तरह यहां भी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को मारेंगे गोली

दिलीप घोष पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष हैं. (फाइल फोटो)

खास बातें

  • दिलीप घोष प. बंगाल BJP के अध्यक्ष हैं
  • 'नुकसान पहुंचाने वालों को मारेंगे गोली'
  • CAA का अभी भी हो रहा है विरोध
कोलकाता:

पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip Ghosh) अक्सर अपनी बेबाक बयानबाजी की वजह से सुर्खियों में रहते हैं. रविवार को उन्होंने एक बार फिर कुछ ऐसा कहा जिसे लेकर विवाद हो रहा है. दिलीप घोष ने एक जनसभा में कहा कि उत्तर प्रदेश के जैसे ही पश्चिम बंगाल में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को गोली मार देंगे. दरअसल घोष यहां उन उपद्रवियों के बारे में बात कर रहे थे जिन्होंने बंगाल में नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान रेलवे और सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त किया था. दिलीप घोष ने पश्चिम बंगाल के नाडिया जिले में जनसभा को संबोधित करते हुए यह बयान दिया.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल राज्य में नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया गया. राज्य सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर न ही लाठीचार्ज और न ही गोली चलाने के आदेश दिए क्योंकि वह लोग ममता बनर्जी के वोटर हैं. उन्होंने कहा, 'क्या ये उनके पिता की संपत्ति है. वो लोग (प्रदर्शनकारी) टैक्स देने वालों के पैसों से बनी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान कैसे पहुंचा सकते हैं. उत्तर प्रदेश, असम और कर्नाटक सरकार ने देश विरोधी तत्वों पर गोली चलाकर बिल्कुल सही किया.'

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बीजेपी अध्यक्ष ने राज्य में बंगाली हिंदुओं के हितों को नुकसान पहुंचाने वालों की पहचान करने को लेकर भी बयान दिया. उन्होंने दावा किया कि भारत में दो करोड़ मुस्लिम घुसपैठिए हैं. उन्होंने कहा, 'सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही एक करोड़ घुसपैठिए हैं और ममता बनर्जी उन्हें बचाने की कोशिश कर रही हैं.' बताते चलें कि मोदी सरकार ने शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधन बिल को संसद में पेश किया था. दोनों सदनों से इसे पारित करवा लिया गया. राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद प्रस्तावित संशोधन कानून में जोड़ दिए गए. इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी नागरिकों को भारतीय नागरिकता देने में सहूलियत दी गई है.

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