महिला एवं बाल विकास मंत्रालय छह दशक पुराने दत्तक कानून को निरस्त कर सकता है. ..
नई दिल्ली:
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय छह दशक पुराने दत्तक कानून को निरस्त कर सकता है. मंत्रालय बाल तस्करी के लिए इस कानून के गलत इस्तेमाल को लेकर चिंताएं जताए जाने के बाद इस पर विचार कर रहा है. जुवेनाइल जस्टिस कानून 2015 हर भारतीय को गोद लेने का अधिकार देता है चाहे वे किसी भी धर्म के हो लेकिन हिंदु दत्तक ग्रहण एवं रखरखाव कानून (एचएएमए), 1956 केवल हिंदुओं, बौद्धों, सिखों और जैनियों को ही गोद लेने का अधिकार देता है. सरकारी अधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कहा कि अक्सर लोग इस पुराने कानून की खामियों का फायदा उठाने के लिए इस कानून का सहारा लेते हैं.
डब्ल्यूसीडी मंत्रालय के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, "जे जे कानून के बाद एचएएमए की प्रासंगिकता नहीं है. कई गोद लेने वाली एजेंसियां अक्सर बेईमानी से बच्चों को गोद लेती है और फिर एचएएमए के तहत उनकी तस्करी करती हैं. जे जे कानून बच्चे का सत्यापन करता है और गोद लेने वाले अभिभावकों की पृष्ठभूमि की जांच करने को अनिवार्य करता है."
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एचएएमए के तहत कोई अभिभावक या संरक्षक अदालत के आदेश के बिना किसी भी हिंदू पुरुष या महिला को बच्चा गोद दे सकता है. हालांकि जे जे कानून 2015 के तहत बच्चे की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कई सुरक्षा मानक हैं. डब्ल्यूसीडी के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हम कानून मंत्रालय को पत्र लिखेंगे कि वे एचएएमए के तहत गोद लेने के प्रावधानों को रद्द करने का अधिकार दें."
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
डब्ल्यूसीडी मंत्रालय के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, "जे जे कानून के बाद एचएएमए की प्रासंगिकता नहीं है. कई गोद लेने वाली एजेंसियां अक्सर बेईमानी से बच्चों को गोद लेती है और फिर एचएएमए के तहत उनकी तस्करी करती हैं. जे जे कानून बच्चे का सत्यापन करता है और गोद लेने वाले अभिभावकों की पृष्ठभूमि की जांच करने को अनिवार्य करता है."
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