दिल्ली के एक बड़े शोरूम का ताला नहीं टूटा, शटर नहीं कटा, सुरक्षा में तैनात गार्ड जागा नहीं, और नौ करोड़ रुपये कीमत की रोलैक्स की घड़ियां चोरी हो गईं, और हां, इसी शोरूम में रखीं सोने और चांदी की बेशकीमती मूर्तियां और जेवरात रखे रहे, चोरी नहीं किए गए।
पुलिस भी इस बात से हैरान है कि चोर का दिल इन बेशकीमती जेवरों पर नहीं आया, रोलैक्स की घड़ियों पर आया। और अगर चोर घड़ियों का शौकीन होता भी, तो वह सबसे महंगी, यानि 60 लाख रुपये की एक, घड़ी को चुराता, 90 घड़ियों को नहीं, जिनकी कुल कीमत नौ करोड़ रुपये है।
अगर यह भी मान लें कि चोर घड़ियों का शौकीन नहीं है, शातिर चोर ही है, तो फिर उसने दिल्ली और मुंबई जैसे चोर बाजारों में भी बड़ी मशक्कत से बिकने वाली घड़ियां क्यों चुराईं, जबकि इसी शोरूम में सोने और चांदी की भारीभरकम कई मूर्तियां भी रखी थीं, जिन्हें बेचना और गलाना दोनों आसान था। यही नहीं, चोर को यह भी पता था कि शोरूम के अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं, फिर भी वह शोरूम मालिक के प्रति इतना रहमदिल रहा कि उसने सिर्फ रोलैक्स की उन घड़ियों को चुराया, जिनका बीमा हो रखा था।
दरअसल, पहले पुलिस को लग रहा था कि चूंकि शोरूम के शटर पर दोनों तरफ लगे ताले तोड़े नहीं गए, इसलिए संभवतः लोहे के किसी रॉड से शटर को टेढ़ा करके कोई नाबालिग चोर अंदर दाखिल हुआ होगा, और घड़ियों पर हाथ साफ कर गया होगा, लेकिन प्राथमिक जांच के दौरान किसी नाबालिग के फिंगरप्रिंट भी अब तक नहीं मिले हैं।
वैसे, शोरूम में 20 से ज़्यादा लोग काम करते हैं, सो, पुलिस उन सबसे पूछताछ कर रही है। रात को तैनात रहने वाले गार्ड का कहना है कि वह रात को सो गया था, और चोरी की बात उसे पता ही नहीं है। शोरूम के मैनेजर टीएस चटर्जी का कहना है कि उन्हें किसी पर शक नहीं है, लेकिन उनका अंदाज़ा है कि चोर शटर को तिरछा करके अंदर दाखिल हुआ होगा। महंगा सामान बेचने वाले इस शोरूम में सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं थे, इसके जवाब में वह कहते हैं कि यह शोरूम वर्ष 1898 से कनॉट प्लेस में है, और सीसीटीवी कैमरे कुछ ही दिन में लगने वाले थे, लेकिन पहले ही चोरी हो गई... और अब बाराखंबा रोड पुलिस इस रहमदिल, लेकिन शातिर चोर की धरपकड़ के लिए तो माथापच्ची कर ही रही है, वह इन सवालों के जवाब तलाशने की भी कोशिश में जुटी है।
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