आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर, डॉ. अक्षाई कुमार अलापे सीतरम और डॉ. हेमंत कुमार श्रीवास्तव की अगुवाई वाली रिसर्च टीम ने ऐसा pincer उत्प्रेरक सिस्टम (Catalytic system) तैयार किया है तो इंडस्ट्रियल और बायोमास कचरे (industrial and biomass waste) को मूल्यवान कैमिकल्स में तब्दील कर देता है. इन उत्प्रेरक की छोटी से मात्रा भी लगातार बड़ी मात्रा में इंडस्ट्रियल कचरे जैसे कि ग्लिसरोल को लेक्टिक एसिड और हाइड्रोजन में बदल देती है. ये उत्प्रेरक निम्न ऊर्जा घनत्व (low-energy density fuel) वाले एथेनॉल को उच्च ऊर्जा घनत्व वाले (high-energy density) बूटानॉल में बदल देते हैं.
ग्लिसरोल और एथेनॉल जैसे मूल्यवान Intermediates को बॉयोमास प्रोसेसिंग के दौरान उपयोगी कैमिकल्स में तब्दील करने की प्रक्रिया ने दुनियाभर में लोगों की रुचि जगाई है.ऐसे उपयोगी उत्पादों में ग्लिसरॉल और एथेनॉल का रूपांतरण कुशल उत्प्रेरक के विकास पर टिका होता है जो इन परिवर्तनों को ला सकता है. उदाहरण के तौर पर ग्लिसरोल, जो कि बायोडीजल का बायप्रोडक्ट है, को लेक्टिक एसिड और हाइड्रोजन में बदला जा सकता है. लेक्टिव एसिड को फूड, फार्मास्युटिकल, कॉस्मेटिक और पॉलीमर इंडस्ट्रीज में इस्तेमाल किया जाता है जबकि हाइड्रोजन एनर्जी सेक्टर में उपयोग में आती है.
इसी तरह बायोमास से मिलने वाले एथेनॉल को हाई क्वालिटी फ्यूल में बदला जा सकता है. बायो एथेनॉल जिसकी गैसोलीन से निम्न ऊर्जा घनत्व (low-energy density fuel) होता है और सीधे तौर पर इस्तेमाल में इंजिन के पार्ट्स को खराब कर (corrodes) देता है, को उच्च ऊर्जा घनत्व वाले (high-energy density) बूटानॉल में बदल देता है जो कि नेचर के लिहाज से असंक्षारक (non-corrosive) है. इस स्टडी के निष्कर्ष को हाल ही में रॉयल सोसाइटी ऑफ कैमिस्ट्री जर्नल्स, कैमिकल कम्युनिकेशंस और केटेलिसिस साइंस एंड टेक्नोलॉजी में स्थान दिया गया है.
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