बुलंदशहर:
उत्तर प्रदेश के एक अस्पताल की बदहाली का आलम यह है कि वार्डब्वाय मरीज को इंजेक्शन दे रहे हैं और सफाई कर्मचारी उनके घावों में टांका लगा रहे हैं।
बुलंदशहर के जिला अस्पताल में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को एक घायल बच्चे के घावों में टांका लगाते और एक अन्य को मरीज को इंजेक्शन देने का दृश्य टेलीविजन चैनलों ने दिखाए गए हैं लेकिन अस्पताल के अधिकारियों की दलील है कि ये सभी स्टाफ मरीजों को इंजेक्शन देने या टांके लगाने के लिए प्रशिक्षित हैं।
प्रदेश सरकार ने मामले की जांच करने का आदेश देते हुए कहा है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक शिशिर कुमार का दावा है कि टीवी चैनलों पर प्रसारित क्लिप में जो वार्डब्वाय दिखाया गया है वह दस साल तक ऑपरेशन थिएटर में भी काम कर चुका है। इसके अलावा उसकी ड्यूटी ड्रेसिंग रूम में भी होती है। वह ड्रेसिंग करने के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित है। उन्होंने कहा कि जो कुछ दिखाया गया है, वह सर्जरी नहीं है बल्कि घाव की ड्रेसिंग करने से संबंधित है। जिसे सफाई कर्मचारी कहा जा रहा है, वह केवल टांकों का धागा काट रहा है जबकि टांके लगा रहा वार्डब्वाय प्रशिक्षित है।
‘मैं भी वहां खड़ा हूं, यदि आप क्लिप देखें तो पाएंगे कि सब कुछ मेरी निगरानी में हो रहा है।’ जब वार्डब्वाय मरीजों को देख रहे थे, तब दृश्यों में अस्पताल का कोई डॉक्टर नहीं है।
बुलंदशहर के जिला अस्पताल में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को एक घायल बच्चे के घावों में टांका लगाते और एक अन्य को मरीज को इंजेक्शन देने का दृश्य टेलीविजन चैनलों ने दिखाए गए हैं लेकिन अस्पताल के अधिकारियों की दलील है कि ये सभी स्टाफ मरीजों को इंजेक्शन देने या टांके लगाने के लिए प्रशिक्षित हैं।
प्रदेश सरकार ने मामले की जांच करने का आदेश देते हुए कहा है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक शिशिर कुमार का दावा है कि टीवी चैनलों पर प्रसारित क्लिप में जो वार्डब्वाय दिखाया गया है वह दस साल तक ऑपरेशन थिएटर में भी काम कर चुका है। इसके अलावा उसकी ड्यूटी ड्रेसिंग रूम में भी होती है। वह ड्रेसिंग करने के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित है। उन्होंने कहा कि जो कुछ दिखाया गया है, वह सर्जरी नहीं है बल्कि घाव की ड्रेसिंग करने से संबंधित है। जिसे सफाई कर्मचारी कहा जा रहा है, वह केवल टांकों का धागा काट रहा है जबकि टांके लगा रहा वार्डब्वाय प्रशिक्षित है।
‘मैं भी वहां खड़ा हूं, यदि आप क्लिप देखें तो पाएंगे कि सब कुछ मेरी निगरानी में हो रहा है।’ जब वार्डब्वाय मरीजों को देख रहे थे, तब दृश्यों में अस्पताल का कोई डॉक्टर नहीं है।