सोपोर:
अफजल गुरु को अचानक फांसी पर लटकाए जाने से सदमे में आया उसका परिवार सुप्रीम कोर्ट में दस्तक देने की योजना बना रहा है ताकि कोई और परिवार अपने अजीज की मौत से पहले उससे मुलाकात से महरूम न रहे।
9 फरवरी को फांसी पर लटकाए गए संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु के बड़े भाई ऐजाज गुरु कहते हैं, हम अफजल को तो वापस नहीं ला सकते, जिसे इस कदर बेरहम मौत मिली। अधिकारी बेदर्द थे और उन्होंने आखरी वक्त भी अफजल को उसके परिवार से मिलने की इजाजत नहीं दी, लेकिन हम शायद यह बंदोबस्त कर सकते हैं कि कोई और परिवार इस सदमे से न गुजरे।
अफजल की पत्नी, पुत्र और परिवार के बाकी लोगों को उसकी फांसी के बारे में पहले से सूचित नहीं किया गया। उन्हें खबर के सार्वजनिक होने पर इस बारे में पता चला। दिल्ली के तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने उन्हें सूचित करने के लिए जो पत्र भेजा था वह अफजल को फांसी पर लटकाए जाने के करीब 51 घंटे के बाद उन तक पहुंचा। इससे कश्मीर घाटी में गुस्से की लहर दौड़ गई।
परिवार ने भारत के मुख्य न्यायाधीश अलतमस कबीर की उस टिप्पणी से इस दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि मौत की सजा पाए लोगों के परिजन को उनकी फांसी के बारे में पहले से सूचित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था..‘‘सिद्धांत यही है कि परिवार को हमेशा उस समय सूचित किया जाए तब चीजें होने वाली हों।’’ अफजल को फांसी दिए जाने के तरीके पर जब विवाद अपने चरम पर था तो पता चला है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को बुलाया और फांसी के बारे में परिवार को सूचित करने में हुई देरी पर नाखुशी जाहिर की।
अफजल का परिवार चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर स्वत: संज्ञान ले और यह नियम बनाए कि जिन लोगों को फांसी पर चढ़ाया जाना है उनके परिवार को इस बारे में पहले से सूचित किया जाए और फांसी से पहले मुलाकात की इजाजत दी जाए।
9 फरवरी को फांसी पर लटकाए गए संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु के बड़े भाई ऐजाज गुरु कहते हैं, हम अफजल को तो वापस नहीं ला सकते, जिसे इस कदर बेरहम मौत मिली। अधिकारी बेदर्द थे और उन्होंने आखरी वक्त भी अफजल को उसके परिवार से मिलने की इजाजत नहीं दी, लेकिन हम शायद यह बंदोबस्त कर सकते हैं कि कोई और परिवार इस सदमे से न गुजरे।
अफजल की पत्नी, पुत्र और परिवार के बाकी लोगों को उसकी फांसी के बारे में पहले से सूचित नहीं किया गया। उन्हें खबर के सार्वजनिक होने पर इस बारे में पता चला। दिल्ली के तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने उन्हें सूचित करने के लिए जो पत्र भेजा था वह अफजल को फांसी पर लटकाए जाने के करीब 51 घंटे के बाद उन तक पहुंचा। इससे कश्मीर घाटी में गुस्से की लहर दौड़ गई।
परिवार ने भारत के मुख्य न्यायाधीश अलतमस कबीर की उस टिप्पणी से इस दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि मौत की सजा पाए लोगों के परिजन को उनकी फांसी के बारे में पहले से सूचित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था..‘‘सिद्धांत यही है कि परिवार को हमेशा उस समय सूचित किया जाए तब चीजें होने वाली हों।’’ अफजल को फांसी दिए जाने के तरीके पर जब विवाद अपने चरम पर था तो पता चला है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को बुलाया और फांसी के बारे में परिवार को सूचित करने में हुई देरी पर नाखुशी जाहिर की।
अफजल का परिवार चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर स्वत: संज्ञान ले और यह नियम बनाए कि जिन लोगों को फांसी पर चढ़ाया जाना है उनके परिवार को इस बारे में पहले से सूचित किया जाए और फांसी से पहले मुलाकात की इजाजत दी जाए।
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