नई दिल्ली:
पश्चिमी नौसेना कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल सुनील लांबा अगले भारतीय नौसेना के प्रमुख होंगे। इससे पहले वो 1 जून 2014 से मई 2015 तक नौसेना के वाइस चीफ भी रह चुके हैं। वाइस एडिमरल लांबा 21वें भारतीय नौसेना प्रमुख होंगे। उनसे पहले और दूसरे नौसेना प्रमुख ब्रिटिश थे।
मौजूदा नौसेना प्रमुख एडिरल रोबिन धवन के 31 मई को रिटायर होने के बाद वे अपना पदभार ग्रहण करेंगे। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एडमिरल धवन दो साल डेढ़ महीने नौसेना प्रमुख रहने के बाद रिटायर हो जाएंगे।
17 जनवरी 1957 में जन्मे एडमिरल लांबा ने एक जनवरी 1978 में नौसेना की एग्जीक्यूटिव ब्रांच में कमीशन ली। वाइस एडमिरल लांबा को इसी साल जनवरी को ही पश्चिमी कमान का प्रमुख बनाया गया था। नौसेना में लगभग 38 साल की सर्विस के दौरान वे कमांड, ऑपरेशनल और स्टॉफ अपॉइंटमेंट ड्यूटी में रहे।
शांत स्वभाव के लांबा अपने परिवार की दूसरे पीढ़ी के फौजी है, जो तुरंत फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। इनकी एक और खासियत है कि वे नौसेना की अग्रिम पीढ़ी के चार जंगी युद्धपोतों की कमान संभाल चुके है, जिनमें आईएनएस काकीनाडा, हिमगिरी, रणविजय और मुबंई शामिल है। नए नौसेना प्रमुख के सामने सबसे बड़ी चुनौती हिंद महासागर में नौसेना के दबदबे को बनाए रखने के साथ-साथ पुराने युद्धपोत को रिटायर करना नए युद्धपोतों को नौसेना में सफलतापूर्वक शामिल कराना है।
मौजूदा नौसेना प्रमुख एडिरल रोबिन धवन के 31 मई को रिटायर होने के बाद वे अपना पदभार ग्रहण करेंगे। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एडमिरल धवन दो साल डेढ़ महीने नौसेना प्रमुख रहने के बाद रिटायर हो जाएंगे।
17 जनवरी 1957 में जन्मे एडमिरल लांबा ने एक जनवरी 1978 में नौसेना की एग्जीक्यूटिव ब्रांच में कमीशन ली। वाइस एडमिरल लांबा को इसी साल जनवरी को ही पश्चिमी कमान का प्रमुख बनाया गया था। नौसेना में लगभग 38 साल की सर्विस के दौरान वे कमांड, ऑपरेशनल और स्टॉफ अपॉइंटमेंट ड्यूटी में रहे।
शांत स्वभाव के लांबा अपने परिवार की दूसरे पीढ़ी के फौजी है, जो तुरंत फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। इनकी एक और खासियत है कि वे नौसेना की अग्रिम पीढ़ी के चार जंगी युद्धपोतों की कमान संभाल चुके है, जिनमें आईएनएस काकीनाडा, हिमगिरी, रणविजय और मुबंई शामिल है। नए नौसेना प्रमुख के सामने सबसे बड़ी चुनौती हिंद महासागर में नौसेना के दबदबे को बनाए रखने के साथ-साथ पुराने युद्धपोत को रिटायर करना नए युद्धपोतों को नौसेना में सफलतापूर्वक शामिल कराना है।
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