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अहमदाबाद:
गुजरात बोर्ड के गुरुवार को 10वीं के नतीजे घोषित कि गए। सिर्फ 54 प्रतिशत बच्चे ही परिक्षा पास कर सके। इन परिणामों को 10 साल के सबसे बुरे नतीजे कहा जा रहा है। बच्चों ने बताया कि इस साल गणित का पेपर बहुत कठिन गया था जिसकी वजह से बच्चों का परिणाम गड़बड़ा गया। कई बच्चे परिणाम के वक्त रोते नजर आए।
पिछले साल परिणाम 64 प्रतिशत के करीब आए थे। हर साल 10 लाख से ज्यादा बच्चे 10वीं की परीक्षा देते हैं, ऐसे में परिणाम कम आना मतलब लाखों बच्चों का फेल होना। महत्वपूर्ण है कि इससे पहले 12वीं साइंस और 12वीं कॉमर्स के नतीजे भी बहुत ही बुरे रहे हैं।
12वीं साइंस के करीब 84 प्रतिशत नतीजे रहे थे जो पिछले साल से 8 प्रतिशत कम थे और 12वीं कॉमर्स के 54 फीसदी नतीजे रहे थे जो पिछले 20 साल का सबसे पुरा परिणाम बताया जा रहा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े गुजरात में क्या शिक्षा का स्तर और गिर रहा है?
जानकार कहते हैं कि इस बार 10वीं के बुरे नतीजे के लिये ज़रूर ही गणित का कठिन पेपर कारण रहा है। लेकिन इतने बुरे परिणाम चिंता की बात है। लेकिन साथ ही ये भी कि इस बार परिक्षा के दौरान चोरी रोकने के लिये कड़े कदम उठाये गये थे इसलिये भी कम बच्चे पास हुए हैं। तो क्या पिछले सालों में जो अच्छे परिणाम रहे वो चोरी की वजह से थे? इसका कोइ जवाब नहीं है। लेकिन एक बात ज्यादातर जानकार मानते हैं कि राज्य में शिक्षा पर जितनी जरूरत है उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
पिछले साल परिणाम 64 प्रतिशत के करीब आए थे। हर साल 10 लाख से ज्यादा बच्चे 10वीं की परीक्षा देते हैं, ऐसे में परिणाम कम आना मतलब लाखों बच्चों का फेल होना। महत्वपूर्ण है कि इससे पहले 12वीं साइंस और 12वीं कॉमर्स के नतीजे भी बहुत ही बुरे रहे हैं।
12वीं साइंस के करीब 84 प्रतिशत नतीजे रहे थे जो पिछले साल से 8 प्रतिशत कम थे और 12वीं कॉमर्स के 54 फीसदी नतीजे रहे थे जो पिछले 20 साल का सबसे पुरा परिणाम बताया जा रहा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े गुजरात में क्या शिक्षा का स्तर और गिर रहा है?
जानकार कहते हैं कि इस बार 10वीं के बुरे नतीजे के लिये ज़रूर ही गणित का कठिन पेपर कारण रहा है। लेकिन इतने बुरे परिणाम चिंता की बात है। लेकिन साथ ही ये भी कि इस बार परिक्षा के दौरान चोरी रोकने के लिये कड़े कदम उठाये गये थे इसलिये भी कम बच्चे पास हुए हैं। तो क्या पिछले सालों में जो अच्छे परिणाम रहे वो चोरी की वजह से थे? इसका कोइ जवाब नहीं है। लेकिन एक बात ज्यादातर जानकार मानते हैं कि राज्य में शिक्षा पर जितनी जरूरत है उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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