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This Article is From May 06, 2012

वसुंधरा की धमकी से मचा बवाल हुआ ठंडा

जयपुर: वसुंधरा राजे के इस्तीफे की धमकी के बाद सूत्रों के मुताबिक राजस्थान बीजेपी में मचा बवाल फिलहाल ठंडा हो गया है।

नितिन गडकरी और अरुण जेटली दोनों ने वसुंधरा से बात की है और पार्टी आलाकमान से मिलने वसुंधरा दिल्ली आ रही हैं।

सूत्रों के मुताबिक पार्टी वसुंधरा को ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर सामने लाना चाहती है और इसपर कोई मतभेद नहीं है।  

वसुंधरा की इस्तीफे की धमकी के बाद राजस्थान बीजेपी की अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। लेकिन दिल्ली में पार्टी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि राजस्थान का मसला पार्टी का अंदरूनी मामला है।

बीजेपी जिस मामले को अंदरूनी करार देकर पर्देदारी की कोशिश कर रही है वह दरअसल राजस्थान में आरएसएस और बीजेपी के बीच की रस्साकशी है। गुलाब चंद कटारिया ने बेशक अपनी प्रस्तावित यात्रा वापस ले ली हो लेकिन कटारिया और वसुंधरा के बीच की यह रस्साकशी बीजेपी को आगे भी नस्तर की तरह चुभती रहेगी।

शनिवार को पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में वसुंधरा ने इस्तीफे की चेतावनी देते हुए बैठक बीच में ही छोड़ दी थी। इसके बाद हालांकि कटारिया ने अपनी प्रस्तावित यात्रा स्थगित कर दी लेकिन वसुंधरा और उनके समर्थक इस पर भी नहीं माने और फिर केंद्रीय नेतृत्व पर दबाब बनाने के लिए उनके समर्थकों ने इस्तीफा देने का सिलसिला आरम्भ कर दिया।

इन विधायकों ने अपने इस्तीफे हालांकि विधानसभा अध्यक्ष को न सौंपकर वसुंधरा को सौंपे हैं।

इस्तीफे की खबरों के बाद जयपुर से दिल्ली तक पार्टी में हड़कंप मच गया। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद अध्यक्ष नितिन गडकरी और अरुण जेटली ने खुद वसुंधरा से फोन पर बातचीत की और मामले को सुलझाने का प्रयास किया।

पार्टी के एक वरष्ठि नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "कालीचरण सर्राफ, दिगम्बर सिंह, ज्ञान देव आहूजा, रोहिताश्व शर्मा, अशोक परनामी और मोहनलाल गुप्ता सहित 40 विधायकों ने दोपहर तक राजे को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इन विधायकों ने वसुंधरा के साथ जयपुर में कई बैठकें की।"

इस बीच, वसुंधरा ने कहा है कि यह पार्टी का आंतरिक मामला है जिसे सुलझा लिया जाएगा।

सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा समर्थक चाहते हैं पार्टी राज्य में अगला चुनाव उन्हें मुख्यमंत्री घोषित कर लड़े जबकि कटारिया अपनी यात्रा के जरिए खुद को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश करना चाहते थे। बताया जाता है कि कटारिया केंद्र के कुछ वरिष्ठ नेताओं की शह पर आगे बढ़ रहे थे लेकिन वसुंधरा के ताजा रुख ने कटारिया की मंशा पर ब्रेक जरूर लगा दिया है।

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