भगवान शिव का रुद्राभिषेक करतीं वसुंधरा राजे
जयपुर:
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इन दिनों भगवान की शरण में हैं। मध्य प्रदेश के दतिया में तीन दिन पूजा अर्चना में लगाने के बाद सावन के पहले सोमवार को उन्होंने जयपुर के प्राचीन शिव मंदिरों में पूजा की और करवाई। माना जा रहा है कि वह संघ के तेवर शांत करने के लिए भगवान की शरण में हैं।
मुख्यमंत्री ने जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर मंदिर में देव स्थान विभाग द्वारा आयोजित रुद्र अभिषेक में भाग लिया। उनके साथ कुछ मंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने भी 11 पंडितों के साथ मंत्रोच्चार, जल और दूध अभिषेक से पूजा अर्चना की।
साथ ही राजस्थान के अलग अलग संभागों में भी प्रमुख शिव मंदिरों में देव स्थान विभाग के निर्देशों पर पूजा अर्चना हुई। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि "आज सावन का पहला सोमवार है और मैंने राज्य की प्रगति , खुशहाली और शान्ति की कामना की है।"
इस बारे में राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो आस्था के साथ-साथ राजे सियासत भी साध रही हैं। कुछ हफ्ते पहले जयपुर में मेट्रो निर्माण को लेकर मंदिर तोड़ने पर विवाद खड़ा हो गया था। मंदिरों को तोड़े जाने के विरोध में संघ के स्वयं सेवकों ने मंदिर बचाओ संघर्ष समिति के चक्का जाम में भाग लिया था। चिंता की बात यह भी थी कि खुद सरकार के कई विधायक भी इसमें नज़र आए थे।
अब इस मामले में समझौता होता दिखाई दे रहा है। सरकार डैमेज कंट्रोल की कोशिशों में जुटी है। सूत्रों की मानें तो यह भी तय हुआ है कि सरकार तोड़े हुए कुछ प्रमुख मंदिर दुबारा बनाएगी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। कहा जाता है देवों के देव महादेव को प्रसन्न करना सबसे आसान है। शायद शिव के रुद्र अभिषेक के जरिये राजे भी संघ के तेवरों को शांत करने की कोशिश में हैं।
मुख्यमंत्री ने जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर मंदिर में देव स्थान विभाग द्वारा आयोजित रुद्र अभिषेक में भाग लिया। उनके साथ कुछ मंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने भी 11 पंडितों के साथ मंत्रोच्चार, जल और दूध अभिषेक से पूजा अर्चना की।
साथ ही राजस्थान के अलग अलग संभागों में भी प्रमुख शिव मंदिरों में देव स्थान विभाग के निर्देशों पर पूजा अर्चना हुई। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि "आज सावन का पहला सोमवार है और मैंने राज्य की प्रगति , खुशहाली और शान्ति की कामना की है।"
इस बारे में राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो आस्था के साथ-साथ राजे सियासत भी साध रही हैं। कुछ हफ्ते पहले जयपुर में मेट्रो निर्माण को लेकर मंदिर तोड़ने पर विवाद खड़ा हो गया था। मंदिरों को तोड़े जाने के विरोध में संघ के स्वयं सेवकों ने मंदिर बचाओ संघर्ष समिति के चक्का जाम में भाग लिया था। चिंता की बात यह भी थी कि खुद सरकार के कई विधायक भी इसमें नज़र आए थे।
अब इस मामले में समझौता होता दिखाई दे रहा है। सरकार डैमेज कंट्रोल की कोशिशों में जुटी है। सूत्रों की मानें तो यह भी तय हुआ है कि सरकार तोड़े हुए कुछ प्रमुख मंदिर दुबारा बनाएगी और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। कहा जाता है देवों के देव महादेव को प्रसन्न करना सबसे आसान है। शायद शिव के रुद्र अभिषेक के जरिये राजे भी संघ के तेवरों को शांत करने की कोशिश में हैं।
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