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This Article is From Jun 30, 2013

उत्तराखंड में हुई लापरवाही पर घिरी राज्य सरकार, टाली जा सकती थी तबाही

देहरादून: उत्तराखंड में हुई लापरवाही पर राज्य सरकार घिरी नजर आ रही है। मौसम विभाग का कहना है कि चेतावनी देने के बावजूद सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया।

इधर, राज्य सरकार ने सफाई देते हुए कहा है कि मौसम विभाग की ओर से ऐेसा कोई अलर्ट नहीं मिला था।

'यात्रा रोक दीजिए, तीर्थयात्रियों को बाहर निकाल लीजिए…' ऐसी चेतावनी दी गई थी… और यह चेतावनी आई थी उत्तराखंड मौसम विभाग की ओर से, जिस पर सरकार और प्रशासन ने ज्यादा गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। ये चेतावनी 14, 15 और 16 जून को दी गई थी, जिसमें राज्य में भारी बारिश का अलर्ट दिया गया था।

उत्तराखंड मौसम विभाग ने राज्य सरकार को चार धाम यात्रा को रोकने और तीर्थयात्रियों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने की नसीहत भी दी थी। यह चेतावनी कई जगहों और और कई लोगों को भेजी गई थी, लेकिन इसे रूटीन चेतावनी समझ कर इसकी अनदेखी की गई।

उत्तराखंड में बेशक औसत से ज्यादा बारिश हुई है, लेकिन अगर मौसम विभाग की इस चेतावनी पर ध्यान दिया जाता, तो इस तबाही से हुए नुकसान को काफी कम किया जा सकता था। उत्तराखंड मौसम विभाग के निदेशक आनंद शर्मा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि 14 जून से हम भारी वर्षा की संभावना जता रहे थे और हमने राज्य सरकार को इसकी सूचना दी थी। 15 जून को हमने फिर चेतावनी जारी की और बेहद अधिक बारिश और भूस्खलन की आशंका जताई थी।

आनंद शर्मा ने बताया, हमने यह भी कहा था कि लोगों को पहाड़ों पर नहीं जाने दिया जाए और जो पहाड़ों पर हैं, उन्हें सुरक्षित ठिकानों पर ले जाया जाए। हमने चार धाम यात्रा को भी चार दिनों के लिए रोक देने की सलाह दी थी। वहीं रुद्रप्रयाग के एसपी बरिंदरजीत सिंह का कहना है कि मौसम विभाग से सूचना मिलने पर हमने खतरे की घोषणा की थी… हमने साफ किया था कि जो लोग सक्षम हैं, वहीं यात्रा में आगे जाएं।

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