देहरादून:
पिछले महीने आई भीषण बाढ़ के बाद उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में लापता एक हजार से अधिक लोगों के परिजनों का धैर्य अब जवाब दे रहा है और वे अपने दम पर उन्हें तलाशने के लिए केदारनाथ और रामबाड़ा जाने की योजना बना रहे हैं।
अपने लापता परिजनों के बारे में प्रशासन से कोई सूचना नहीं मिलने पर वे केदारनाथ एवं रामबाड़ा जाने की योजना बना रहे हैं और वे इन इलाकों में पड़े लाखों टन मलबे के बीच उनके शव तलाशेंगे, ताकि उनका अंतिम संस्कार किया जा सके।
हादसे के बाद से लापता हो गए लमबगउदी के निवासी संदीप के परिजन उनका पता लगाने के लिए भाग-दौड़ कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल रही। अब उनके पिता राधाप्रसाद ने अपने बेटे को अपने दम पर तलाश करने का निर्णय लिया है। राधाप्रसाद ने कहा, मैं इसे (तलाश) अब प्रशासन के लिए नहीं छोड़ सकता। हादसे का यह 19वां दिन है और हम लोग अभी भी इस बात से अनभिज्ञ हैं कि हमारे बेटे के साथ क्या हुआ। अब उसे तलाशने के लिए मैंने अपने दम पर वहां जाने का निर्णय लिया है। जिले के लापता एक अन्य व्यक्ति के परिजनों की भी यह दुर्दशा है।
हादसे में अपने पांच परिजनों को खो चुके गुप्तकाशी निवासी दिनेश बागवदी ने कहा, हम अब अपने लापता परिजनों के बारे में कोई अधिकारिक सूचना मिलने को लेकर अधिक इंतजार नहीं कर सकते। हमने अब अपने दम पर परिजनों को जीवित या मृत वापस लाने के लिए केदारनाथ और रामबाड़ा जाने का निर्णय लिया है।
अपने लापता परिजनों के बारे में प्रशासन से कोई सूचना नहीं मिलने पर वे केदारनाथ एवं रामबाड़ा जाने की योजना बना रहे हैं और वे इन इलाकों में पड़े लाखों टन मलबे के बीच उनके शव तलाशेंगे, ताकि उनका अंतिम संस्कार किया जा सके।
हादसे के बाद से लापता हो गए लमबगउदी के निवासी संदीप के परिजन उनका पता लगाने के लिए भाग-दौड़ कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई जानकारी नहीं मिल रही। अब उनके पिता राधाप्रसाद ने अपने बेटे को अपने दम पर तलाश करने का निर्णय लिया है। राधाप्रसाद ने कहा, मैं इसे (तलाश) अब प्रशासन के लिए नहीं छोड़ सकता। हादसे का यह 19वां दिन है और हम लोग अभी भी इस बात से अनभिज्ञ हैं कि हमारे बेटे के साथ क्या हुआ। अब उसे तलाशने के लिए मैंने अपने दम पर वहां जाने का निर्णय लिया है। जिले के लापता एक अन्य व्यक्ति के परिजनों की भी यह दुर्दशा है।
हादसे में अपने पांच परिजनों को खो चुके गुप्तकाशी निवासी दिनेश बागवदी ने कहा, हम अब अपने लापता परिजनों के बारे में कोई अधिकारिक सूचना मिलने को लेकर अधिक इंतजार नहीं कर सकते। हमने अब अपने दम पर परिजनों को जीवित या मृत वापस लाने के लिए केदारनाथ और रामबाड़ा जाने का निर्णय लिया है।
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