उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत (फाइल फोटो)
देहरादून:
उत्तराखंड कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करने के विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को नैनीताल उच्च न्यायालय में सुनवाई जारी रहेगी। न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी की एकलपीठ के समक्ष सोमवार को भी मामले की सुनवाई हुई। बागी विधायकों की पैरवी कर रहे अधिवक्ता आर्यमन सुंदरम, एल़ नागेश्वर राव और दिनेश द्विवेदी ने अदालत को बताया कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करना गलत है।
याचिका में कहा गया कि बागियों ने पार्टी नहीं छोड़ी थी, वे केवल सरकार के खिलाफ गए थे। याचिकाकर्ता की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णयों का हवाला भी दिया गया।
विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर रोक लगाने की मांग
अपना पक्ष रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता आर्यमन सुंदरम ने न्यायालय से विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पैरवी करने पहुंचे पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल मंगलवार को इस मामले में अपना पक्ष रखेंगे।
गौरतलब है कि बागी विधायक सुबोध उनियाल, शैलारानी रावत, उमेश शर्मा काऊ, कुंवर प्रणव सिंह चौंपियन, हरक सिंह रावत, अमृता रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल और प्रदीप बत्रा ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर 27 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष की ओर से उनकी सदस्यता को खत्म करने के आदेश को चुनौती दी थी।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
याचिका में कहा गया कि बागियों ने पार्टी नहीं छोड़ी थी, वे केवल सरकार के खिलाफ गए थे। याचिकाकर्ता की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णयों का हवाला भी दिया गया।
विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर रोक लगाने की मांग
अपना पक्ष रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता आर्यमन सुंदरम ने न्यायालय से विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पैरवी करने पहुंचे पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री और सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल मंगलवार को इस मामले में अपना पक्ष रखेंगे।
गौरतलब है कि बागी विधायक सुबोध उनियाल, शैलारानी रावत, उमेश शर्मा काऊ, कुंवर प्रणव सिंह चौंपियन, हरक सिंह रावत, अमृता रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल और प्रदीप बत्रा ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर 27 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष की ओर से उनकी सदस्यता को खत्म करने के आदेश को चुनौती दी थी।
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