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This Article is From Jan 12, 2020

Jammu – Kashmir में नेताओं की हिरासत और इंटरनेट बैन पर अमेरिका ने जताई चिंता

अमेरिकी विदेश मंत्रालय (US State Department) ने जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में स्थानीय नेताओं की हिरासत और राज्य में इंटरनेट बैन (Internet Ban) पर चिंता जाहिर की है.

Jammu – Kashmir में नेताओं की हिरासत और इंटरनेट बैन पर अमेरिका ने जताई चिंता
15 देशों के राजनयिकों ने Jammu Kashmir का दौरा किया था. (फाइल फोटो)
वॉशिंगटन:

अमेरिकी विदेश मंत्रालय (US State Department) ने जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में स्थानीय नेताओं की हिरासत और राज्य में इंटरनेट बैन (Internet Ban) पर चिंता जाहिर की है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के दक्षिण एवं मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो (एससीए) ने ट्वीट किया कि वह भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर और अन्य विदेशी राजनयिकों की जम्मू-कश्मीर यात्रा पर बारीकी से नजर रखे हुए है. ब्यूरो ने ट्वीट किया, 'हम नेताओं और निवासियों की हिरासत और इंटरनेट पाबंदियों से चिंतित हैं. हम हालात समान्य होने की उम्मीद करते हैं. सब अच्छा हो.'

हाल ही में 15 देशों के राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने कश्मीरी पंडितों से मुलाकात की. डेलिगेशन जम्मू की सबसे बड़ी विस्थापित कॉलोनी 'जगती कैंप' पहुंचा था. विस्थापितों ने डेलिगेशन से कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त कराने की मांग की ताकि राज्य में एक बार फिर कश्मीरी पंडितों की वापसी हो सके.

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बताते चलें कि बीते शुक्रवार सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद इंटरनेट बैन और लॉक डाउन के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई की थी. जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की संयुक्त बेंच ने इसकी सुनवाई की. जस्टिस रमणा ने फैसला पढ़ते हुए कश्मीर की खूबसूरती का जिक्र किया और कहा कि कश्मीर ने बहुत हिंसा देखी है.

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जस्टिस रमणा ने इंटरनेट बैन मामले पर कहा कि इंटरनेट फ्रीडम ऑफ स्पीच और आर्टिकल-19 के तहत आता है. यह फ्रीडम ऑफ स्पीच का जरिया भी है. इंटरनेट बंद करना न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है. जम्मू-कश्मीर में सभी पाबंदियों पर एक हफ्ते के भीतर समीक्षा की जाए. जहां जरूरत हो वहां फौरन इंटरनेट बहाल किया जाए. राज्य में नागरिकों के अधिकार और सुरक्षा के संतुलन की कोशिशें जारी हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 144 लगाना भी न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है. सरकार धारा 144 लगाने को लेकर जानकारी सार्वजनिक करे. समीक्षा के बाद जानकारी को पब्लिक डोमेन में डालें ताकि लोग कोर्ट जा सकें. सरकार इंटरनेट व दूसरी पाबंदियों से छूट नहीं पा सकती. केंद्र सरकार इंटरनेट बैन पर एक बार फिर समीक्षा करे. इंटरनेट बैन की समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए. पाबंदियों, इंटरनेट और बुनियादी स्वतंत्रता की निलंबन शक्ति की एक मनमानी एक्सरसाइज नहीं हो सकती. (इनपुट भाषा से भी)

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