26 जनवरी पर पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के तौर पर आने वाले हैं। ऐसे में राष्ट्रपति ओबामा के दौरे को लेकर सुरक्षा को लेकर जो तैयारी चल रही है वो किसी भी विदेशी मेहमान के लिए तैयार होने वाला सबसे बड़ा सुरक्षा घेरा होगा। इन तैयारियों पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियों ने भी पैनी निगाह रखी हुई है। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों की पैनी निगाह हर किसी पर है। सुरक्षा में लगे भारतीय जवान भी उनकी निगाह में हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौरे से पहले अमेरिकी सीक्रेट सर्विस एजेंट उन सभी जगहों की पल-पल की तस्वीरें और जानकारियां अमेरिका भेज रहे हैं जहां से होकर बराक ओबामा को गुज़रना है।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी का कहना है कि अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों के साथ उनकी लगातार बैठकें चल रही हैं सुरक्षा पुख्ता होगी लेकिन दिल्ली बंद नहीं होगी।
बराक ओबामा 25 जनवरी को हवाईअड्डे पर उतरने के सीधे बाद दिल्ली के मौर्य शेरेटन होटल पहुंचेंगे। होटल को पहले ही पूरी तरह सील कर दिया जाएगा। उसकी सुरक्षा का ज़िम्मा अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां संभाल लेंगी। बाहरी सुरक्षा घेरा भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का होगा किसी विदेशी मेहमान के लिए भारत में ये अब तक का सबसे बड़ा सुरक्षा घेरा होगा।
सूत्रों के मुताबिक ओबामा के दौरे में आतंकी हमले का ख़तरा देखते हुए गणतंत्र दिवस समारोह के लिए सुरक्षा इंतजाम पुख्ता होंगे।
सुरक्षा की कवायद की खास बातें -
- दिल्ली में क़रीब 40 हज़ार जवान तैनात रहेंगे।
- इनमें क़रीब पांच हजार कमांडो होंगे।
- होटल के आसपास 300 कमांडो रहेंगे।
- ओबामा की सुरक्षा चार स्तरों की होगी।
- सेंट्रल दिल्ली में 24 जनवरी से ही सरकारी दफ़्तर बंद कर दिए जाएंगे।
- फ़ेस स्कैनर और ख़ास तरह के बैरिकेड लगाए जाएंगे।
- कुछ इलाकों में ड्रोन से हवाई निगरानी रखी जाएगी।
- इंडिया गेट और आसपास के इलाकों को 17 ज़ोन में बांटा गया है।
- पूरी दिल्ली में निगरानी के लिए 15 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।
सुरक्षा को लेकर तीन विवाद
ओबामा की सुरक्षा को लेकर कुछ विवाद भी हैं। जिन्हें लेकर भारतीय और अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों में खींचतान चल रही है। विवाद की पहली वजह है ओबामा की बुलेट प्रूफ़ और आलीशान कैडिलेक कार है। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां चाहती हैं कि बराक ओबामा अपनी इसी कार से राजपथ पहुंचें। हालांकि भारत सरकार ने प्रोटोकॉल के तहत उन्हें राष्ट्रपति के साथ उनकी ही लिमोज़ीन में राजपथ पर आने का न्योता दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन का कहना है कि सही समय पर सही जानकारी दे दी जाएगी विवाद की दूसरी वजह है राजपथ को नो फ्लाई ज़ोन घोषित करना। अगर ऐसा हुआ तो एयरफोर्स का फ्लाईपास्ट नहीं हो पाएगा जो गणतंत्र दिवस का एक ख़ास आकर्षण होता है। भारत फ़्लाई पास्ट रद्द करने के लिए तैयार नहीं है। तीसरा विवाद अमेरिकी राष्ट्रपति के राजपथ पर खुले आसमान के नीचे बैठने को लेकर है।
सुरक्षा कारणों से अमेरिकी राष्ट्रपति किसी खुली जगह पर 30 मिनट से ज़्यादा नहीं बैठते। लेकिन यहां उन्हें क़रीब दो घंटे बैठना होगा इस पूरे इलाके की निगरानी सेना के हवाले है। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर का कहना है कि गृहमंत्रालय के साथ तालमेल कर सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं।
ताजमहल के आसपास भी रहेगी सुरक्षा
27 जनवरी को ओबामा ताजमहल देखने जायेंगे ।सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा को देखते हुए वो हवाई रास्ते से आगरा पहुंचेंगे।इसे देखते हुए आगरा में ताजमहल के आसपास के होटल और रेस्टोरेंट दो दिन बंद रखे जाएंगे।
ओबामा की अपनी सुरक्षा
दुनिया की सबसे ताक़तवर हस्ती अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने देश या दुनिया में कहीं भी जाते हैं तो अपने इस विशेष विमान एयरफोर्स वन में। हॉलीवुड की कई फिल्मों की पटकथा में शामिल रहा एयरफोर्स वन बेहद ख़ास है।
फ़्लाईंग व्हाउट हाउस कहे जाने वाले एयरफोर्स वन को ख़ास अमेरिकी राष्ट्रपति की ज़रूरतों के लिहाज़ से डिज़ाइन किया गया है।
एयरफोर्स वन विमान
विमान का अगला हिस्सा दो मंज़िलों में बंटा हुआ है। ऊपरी मंज़िल में कॉकपिट और राष्ट्रपति का दफ़्तर होता है। नीचे की मंज़िल में राष्ट्रपति का विशेष शयन कक्ष, ड्रेसिंग रूम और जिम होता है। इसके ठीक पीछे चिकित्सा सुविधाओं से लैस एक ख़ास थिएटर होता है। विमान के बीचों बीच पहले एक सीनियर स्टाफ़ मीटिंग रूम होता है और इसके ठीक बाद किचन और डाइनिंग हॉल होता है जिसमें 100 लोगों के बीस बार खाने का इंतज़ाम होता है।
विमान के पिछले हिस्से में कमांडो और सीक्रेट सर्विस अफ़सरों के ठहरने की जगह होती है जहां 85 फोन लाइन और 19 टीवी सैट लगे होते हैं... इसके बाद आता है दफ़्तर और प्रेस रूम।
ये विमान एक बार में पूरी दुनिया का चक्कर लगा सकता है। यही नहीं ये परमाणु हमले से बचने में भी सक्षम है और इसी में बैठे-बैठे अमेरिकी राष्ट्रपति कहीं भी परमाणु हमले को संचालित कर सकते हैं। किसी लड़ाकू विमान की तरह एयरफोर्स वन हवाई हमले करने में भी सक्षम है।
इस ताक़तवर उड़न खटोले से नीचे ज़मीन पर उतरने के बाद भी ओबामा की सुरक्षा कायम रहती है। यहां उनका सुरक्षा कवच है ये ख़ास कैडिलैक कार जिसे बीस्ट कहा जाता है। ओबामा के काफ़िले की ये कार दुनिया की सबसे सुरक्षित कार मानी जाती है।
ओबामा की बीस्ट कार
18 फीट लंबी इस कार के टायर स्टील प्लेट से बने होते हैं जो पंक्चर नहीं होते। बीस्ट के दरवाज़े और निचली सतह स्टील की आठ इंच मोटी प्लेट से बने होते हैं।
इस वजह से ये कार बड़ा बम धमाका भी सह सकती है। इतना मोटा कवच होने के कारण बीस्ट का वज़न बोइंग 757 विमान के बराबर है। इसके दरवाजों में ऑटोमैटिक गन्स फिट हैं। अगले हिस्से में नाइट विज़न कैमरा, हथियार हैं। इसके अलावा इसमें आंसू गैस छोड़ने की क्षमता भी है। बीस्ट की पिछली सीट पर बैठे ओबामा के लिए लैपटॉप, सेटेलाइट फोन और वाईफाई का इंतज़ाम रहता है। कार में पैनिक बटन होता है जो सीधा अमेरिकी कंट्रोल रूम से जुड़ा होता है।
ओबामा की सुरक्षा कवच का तीसरा हथियार है, उनका ये ख़ास मैरीन वन हेलाकॉप्टर।
मैरीन वन हेलाकॉप्टर
इसमें एक बार में 14 लोग बैठ सकते हैं। ये एक ही बार में 300 मील का सफ़र तय कर सकता है। हर वक़्त व्हाइट हाउस से सीधे संपर्क में होता है। इसमें परमाणु हमला सहने की क्षमता है। मुश्किल के समय ओबामा को लेकर सड़क से भी उड़ान भर सकता है। ओबामा इसका इस्तेमाल वहां करते हैं, जहां उनका एयरफोर्स वन नहीं उतर सकता तो फिल्मों में जेम्स बॉन्ड के गैजेट्स और गाड़ियों को भी टक्कर देने वाले ओबामा के इस ख़ास काफ़िले का इंतज़ार कीजिए।
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