प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
अग्रणी अमेरिकी रक्षा कंपनियां भारत में विशेष ढांचा के लिए दबाव बना रही हैं ताकि देश में संयुक्त उपक्रम के लिए भारतीय निजी क्षेत्र के साथ जब वे महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी और गोपनीय रक्षा सूचना साझा करें तो उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि वे गोपनीय रक्षा प्रौद्योगिकी और भारतीय निजी क्षेत्र को सूचना सौंपने को सुगम बनाने के लिए सरकार के स्तर पर समझौता चाहते हैं. इसके अलावा वे दायित्व, बौद्धिक संपदा अधिकार और औद्योगिक सुरक्षा के मुद्दों पर भी स्पष्टता चाहते हैं.
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वाशिंगटन स्थित यूएसआईबीसी में डिफेंस और एयरोस्पेस के लिए वरिष्ठ निदेशक बेंजामिन श्वाट्र्ज ने कहा कि अमेरिकी कंपनियों द्वारा भारतीय निजी क्षेत्र के साथ गोपनीय रक्षा सूचना साझा करने के लिए फिलहाल कोई प्रावधान नहीं है और इसे सुगम बनाने के लिए दोनों देशों की सरकारों के स्तर पर समझौते की आवश्यकता है. उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘अमेरिकी कंपनियां भारत को महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी स्थानांतरित करना सुनिश्चित करने की इच्छुक हैं, लेकिन भारत सरकार को महत्वपूर्ण और गोपनीय प्रौद्योगिकी की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है.’’
VIDEO : फ्रांस से रक्षा सौदा
श्वाट्र्ज ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कई कठिन मुद्दों पर यहां रक्षा प्रतिष्ठान के साथ व्यापक वार्ता की. उन्होंने कहा कि मौजूदा ढांचा के तहत अमेरिकी कंपनियां गोपनीय सूचना और प्रौद्योगिकी सिर्फ भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा उपक्रमों (डीपीएसयू) के साथ साझा कर सकती हैं. वे भारतीय निजी क्षेत्र के साथ ऐसी सूचना और प्रौद्योगिकी नहीं साझा कर सकती हैं. उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल ऐसा कोई तंत्र नहीं है जो अमेरिकी कंपनियों को भारत के निजी उद्योगों के साथ गोपनीय सूचना साझा करने की अनुमति देता है.’’ उन्होंने कहा कि यह नई दिल्ली पर निर्भर है कि वह बाधाओं को हटाने के लिए सरकारों के स्तर पर समझौते के लिए प्रक्रिया शुरू करे. यूएसआईबीसी भारत और अमेरिकी रक्षा उद्योगों के बीच महती सहयोग के लिए अग्रसक्रिय भूमिका निभा रहा है.
(इनपुट भाषा से)
अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि वे गोपनीय रक्षा प्रौद्योगिकी और भारतीय निजी क्षेत्र को सूचना सौंपने को सुगम बनाने के लिए सरकार के स्तर पर समझौता चाहते हैं. इसके अलावा वे दायित्व, बौद्धिक संपदा अधिकार और औद्योगिक सुरक्षा के मुद्दों पर भी स्पष्टता चाहते हैं.
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वाशिंगटन स्थित यूएसआईबीसी में डिफेंस और एयरोस्पेस के लिए वरिष्ठ निदेशक बेंजामिन श्वाट्र्ज ने कहा कि अमेरिकी कंपनियों द्वारा भारतीय निजी क्षेत्र के साथ गोपनीय रक्षा सूचना साझा करने के लिए फिलहाल कोई प्रावधान नहीं है और इसे सुगम बनाने के लिए दोनों देशों की सरकारों के स्तर पर समझौते की आवश्यकता है. उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘अमेरिकी कंपनियां भारत को महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी स्थानांतरित करना सुनिश्चित करने की इच्छुक हैं, लेकिन भारत सरकार को महत्वपूर्ण और गोपनीय प्रौद्योगिकी की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है.’’
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श्वाट्र्ज ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कई कठिन मुद्दों पर यहां रक्षा प्रतिष्ठान के साथ व्यापक वार्ता की. उन्होंने कहा कि मौजूदा ढांचा के तहत अमेरिकी कंपनियां गोपनीय सूचना और प्रौद्योगिकी सिर्फ भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा उपक्रमों (डीपीएसयू) के साथ साझा कर सकती हैं. वे भारतीय निजी क्षेत्र के साथ ऐसी सूचना और प्रौद्योगिकी नहीं साझा कर सकती हैं. उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल ऐसा कोई तंत्र नहीं है जो अमेरिकी कंपनियों को भारत के निजी उद्योगों के साथ गोपनीय सूचना साझा करने की अनुमति देता है.’’ उन्होंने कहा कि यह नई दिल्ली पर निर्भर है कि वह बाधाओं को हटाने के लिए सरकारों के स्तर पर समझौते के लिए प्रक्रिया शुरू करे. यूएसआईबीसी भारत और अमेरिकी रक्षा उद्योगों के बीच महती सहयोग के लिए अग्रसक्रिय भूमिका निभा रहा है.
(इनपुट भाषा से)
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