यह ख़बर 18 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

राज्यसभा में धर्मांतरण के मुद्दे पर हंगामा, पीएम मोदी के बयान पर अड़ा विपक्ष, कार्यवाही स्थगित

पीएम मोदी राज्यसभा में

नई दिल्ली:

धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर संसद में लगातार हंगामा हो रहा है। राज्यसभा में आज इस हंगामे के बीच पीएम नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। विपक्ष इस पर पीएम नरेंद्र मोदी के बयान की मांग कर रहा है, वहीं सरकार का कहना है कि वह बहस के लिए तैयार है और इस मुद्दे पर गृहमंत्री जवाब देंगे। सरकार ने पीएम से सफाई की मांग को खारिज कर दिया। विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा और इसी के चलते हंगामा होता रहा। आखिर में कार्यवाही को स्थगित ही करना पड़ा।

उधर, राज्यसभा के सभापति ने कहा कि बहस के लिए शर्त नहीं रख सकते।

गौरतलब है कि राज्यसभा में जबरन धर्मान्तरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सदन में आकर जवाब दिये जाने की मांग पर पिछले चार दिन से अड़े विपक्ष ने सरकार पर ‘अहंकार’ एवं ‘हठधर्मिता’ का आरोप लगाते हुए आज भी सदन की कार्यवाही बाधित की। उधर, सरकार ने दावा किया कि मौजूदा गतिरोध ‘सरकार के अहंकार’ के चलते नहीं बल्कि ‘संख्याबल (राज्यसभा में विपक्ष के अधिक सदस्य हैं) के अहंकार’ के कारण है। इस मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण आज शून्यकाल में बैठक को दोपहर 11 बजकर 45 मिनट पर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

सदन में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि राज्यसभा में जो गतिरोध चल रहा है वह सरकार की हठधर्मिता के कारण है। सरकार अहंकार दिखा रही है। यदि प्रधानमंत्री सदन में आकर जबरन धर्मान्तरण के मुद्दे पर चर्चा को सुने और अपनी बात कहें तो मौजूदा गतिरोध समाप्त हो सकता है।

सदन के नेता अरुण जेटली ने सरकार के सहयोग नहीं करने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह सत्र शुरू होने पर विपक्ष ने एक राज्य मंत्री के बयान पर प्रधानमंत्री से बयान दिलवाने को कहा था। प्रधानमंत्री ने दोनों सदनों में आकर बयान दिया।

जेटली ने कहा कि इसके बाद विपक्ष की मांग पर आसन की ओर से इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव पढ़ा गया। उन्होंने कहा कि अब विपक्ष की ओर से फिर गतिरोध पैदा किया जा रहा है और सरकार की मंशा पर सवाल उठाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा सदन चलाने की है।

उन्होंने यह भी कहा कि जब लोकसभा में सामान्य ढंग से कामकाज हो रहा है तो उच्च सदन में यह बाधित क्यों हो रहा है।

जेटली ने विपक्ष के गतिरोध की ओर संकेत करते हुए कहा कि यह ‘सरकार का अहंकार नहीं बल्कि संख्याबल का अहंकार है।’ इस पर माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि लोकसभा में ‘बहुमत की तानाशाही है।’

इससे पूर्व कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने व्यवस्था के सवाल के नाम पर जबरन धर्मान्तरण के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कुख्यात आतंकी सरगना हाफिज सईद ने धमकी दी है कि वह भारत से बदला लेगा। उन्होंने कहा कि ‘भारत में भी हाफिज के कुछ जुड़वा भाई हैं, जो कथित धर्मान्तरण करवा रहे हैं और उसके समर्थन में बयान दे रहे हैं। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने उनके इस बयान का कड़ा विरोध किया। दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वह कांग्रेस सदस्य तिवारी का सम्मान करते हैं, लेकिन अपने देश के किसी भी व्यक्ति की हाफिज से तुलना करना बिल्कुल उचित नहीं है। यह गैर-जिम्मेदाराना बयान है।

इसके बाद कांग्रेस के आनंद शर्मा ने उनकी पार्टी के हनुमंत राव को सभापति हामिद अंसारी द्वारा नियम 255 के तहत नामित करने और उन्हें सदन से चले जाने के बारे में कहे जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि संसदीय कार्य मंत्री ने इस सदस्य के बारे में एक आपत्तिजनक बयान दिया है।

इस पर कुरियन ने कहा कि सभापति की व्यवस्था को न तो चुनौती दी जा सकती है और न ही इस पर चर्चा हो सकती है।

तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने कहा कि प्रधानमंत्री दूसरे सदन में जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस सदन में आकर बयान देना चाहिए और उसके बाद कामकाज सामन्य ढंग से चलने लगेगा। जदयू के शरद यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री इस मामले को प्रतिष्ठा का प्रश्न क्यों बनाये हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर इस तरह के मामलों में के कठोर कार्रवाई का आश्वासन देना चाहिए।

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हंगामे के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्य भी इस बात की लगातार मांग कर रहे थे कि सदन में शून्यकाल के तहत लोक महत्व के मुद्दे उठाने की इजाजत दी जानी चाहिए। भाजपा के वीपी सिंह बदनौर ने आसन से जानना चाहा कि क्या, ‘शून्यकाल सभी के लिए मनमानी करने वाला समय बन गया है।’ उन्होंने कहा कि शून्यकाल चलाये जाने के लिए नियम बनाये जाने चाहिए।

(इनपुट्स भाषा से भी)