नई दिल्ली:
केंद्र में सत्तारुढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) को उम्मीद है कि सर्वदलीय बैठक में खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफएडीआई) के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध खत्म हो जाएगा।
मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर संसद में चर्चा एवं मतदान कराने की मांग कर रही हैं। भाजपा एवं माकपा ने इस मांग को लेकर संसद की कार्यवाही ठप कर रखी है।
संसद का शीतकालीन सत्र 22 नवम्बर को शुरू हुआ। लेकिन सरकार सिर्फ चर्चा कराने के लिए ही तैयार है। संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने संसद में गतिरोध खत्म करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
लोकसभा के नेता एवं केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने शुक्रवार को कांग्रेस की कोर ग्रुप की बैठक के बाद कहा था, "सरकार एफडीआई पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन मतदान के साथ नहीं। हम गतिरोध खत्म करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।"
संसदीय कार्यमंत्री का कार्यभार सम्भालने के बाद कमल नाथ के लिए विपक्षी दलों को मनाना पहली परीक्षा है।
सूत्रों के अनुसार एफडीआई पर मत विभाजन में हारने पर भी सरकार को कोई खतरा नहीं है लेकिन इसे राजनीतिक शर्मिंदगी के तौर पर देखा जाएगा।
इससे पहले, केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख मुलायम सिंह यादव एवं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर समर्थन का आश्वासन दिया था।
मुलायम सिंह मल्टीब्रांड खुदरा में एफडीआई का विरोध करते हैं और उनकी पार्टी मत विभाजन के समय सदन से अनुपस्थित रह सकती है। बसपा भी ऐसा ही कर सकती है।
प्रधानमंत्री ने संप्रग के घटक दलों को मामले से अवगत कराया है।
मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर संसद में चर्चा एवं मतदान कराने की मांग कर रही हैं। भाजपा एवं माकपा ने इस मांग को लेकर संसद की कार्यवाही ठप कर रखी है।
संसद का शीतकालीन सत्र 22 नवम्बर को शुरू हुआ। लेकिन सरकार सिर्फ चर्चा कराने के लिए ही तैयार है। संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ने संसद में गतिरोध खत्म करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
लोकसभा के नेता एवं केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने शुक्रवार को कांग्रेस की कोर ग्रुप की बैठक के बाद कहा था, "सरकार एफडीआई पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन मतदान के साथ नहीं। हम गतिरोध खत्म करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।"
संसदीय कार्यमंत्री का कार्यभार सम्भालने के बाद कमल नाथ के लिए विपक्षी दलों को मनाना पहली परीक्षा है।
सूत्रों के अनुसार एफडीआई पर मत विभाजन में हारने पर भी सरकार को कोई खतरा नहीं है लेकिन इसे राजनीतिक शर्मिंदगी के तौर पर देखा जाएगा।
इससे पहले, केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख मुलायम सिंह यादव एवं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलकर समर्थन का आश्वासन दिया था।
मुलायम सिंह मल्टीब्रांड खुदरा में एफडीआई का विरोध करते हैं और उनकी पार्टी मत विभाजन के समय सदन से अनुपस्थित रह सकती है। बसपा भी ऐसा ही कर सकती है।
प्रधानमंत्री ने संप्रग के घटक दलों को मामले से अवगत कराया है।
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