UP Polls: सुरक्षा कारणों से बदहाल हाथरस का घुंघरु उद्योग, क्षेत्र में समस्‍याओं का अंबार

देशभर के लिए घुंघरु बनाने वाले हाथरस के एक गांव का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा सुरक्षा और इंस्पेक्टर राज है. घुंघरु पर सुरक्षा को लेकर ऐसी मार पड़ी है कि कई लोगों का रोजगार छिन गया है.

UP Polls 2022 :उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 20 फरवरी को तीसरे चरण का मतदान होना है. रविवार को राज्‍य के 16 जिलों की 59 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे, लेकिन देशभर के लिए घुंघरु बनाने वाले हाथरस के एक गांव का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा सुरक्षा और इंस्पेक्टर राज है. घुंघरु पर सुरक्षा को लेकर ऐसी मार पड़ी है कि कई लोगों का रोजगार छिन गया है. NDTV ने हाथरस के बिसावर गांव के लोगों ने चुनावी माहौल और चुनाव के दौरान उनके अहम मुद्दे को लेकर बात की. 

1si4atjoक्षेेत्र  की समस्‍याओं और चुनाव के मुद्दों पर बात करते हुए हुए बिसावर के लोग 
लाखों रुपए के चांदी के घुंघरुओं की सफाई करके चमक और खनक लाने वाले खुशी राम अब दिनभर में महज 200 रुपए कमा पाते हैं.हाथरस के बिसावर गांव के लगभग हर घर में इस तरह के घुंघरु और पायल बनाए जाते हैं. पन्ना लाल का भी छोटा सा कारखाना है और उसमें तैयार घुंघरु जब पायलों में लगते हैं तो उसकी मांग देश-विदेश में बढ़ जाती है...लेकिन अब इस धंधे पर भी मार पड़ी है और इसका कारण लूटपाट की घटनाओं की इजाफा है. वे कहते हैं, 'डर लगता है कि शाम को छह बजे के बाद कोई बदमाश चांदी या रिलेट छीन न ले जाए. थाने का अभाव है. क्षेत्र में अराजकता का माहौल है. बीजेपी के भी साल के शासन में कुछ नहीं हुआ है. बिसावर के ही राजेश की कहानी भी ऐसी ही है. उनकीकभी घुंघरु बनाने की छोटी यूनिट थी लेकिन आगरा के रास्ते में चांदी की एक लूट हुई और आज ये कारीगर से 200 रुपए के दिहाड़ी मजदूर बन गए हैं. वे कहते हैं, '25 साल पहले इनके साथ लूट हुई थी. तबसे 200 रुपए दिन की मजदूरी कर रहे हैं. परिवार में पांच लोग हैं.पत्नी को कैंसर है, किसी तरह इलाज करवा पाता हूं.'

हाथरस से करीब 20 किमी दूर बिसावर के आसपास के कई गांवों में चांदी लाकर घुंघरु बनाने का काम किया जाता है फिर इन्‍हें देश के दूसरे हिस्सों में भेजा जाता है लेकिन तैयार माल पर कभी बदमाश, कभी सेलटैक्स और कभी पुलिस की धरपकड़ ने लोगों को परेशान किया है. गांव के लोगों के बीच यह बड़ा मुद्दा है और इस पर ग्रामीणों की अलग-अलग राय भी है. गांव की चौपाल में बैठे विनोद कुमार कहते हैं कि 15 दिन पहले ही एक जगह बलदेव पर चांदी की गाड़ी पकड़ी और पुलिस ने उसे मथुरा भेज दिया. कानून व्यवस्था कुछ भी नहीं है. बिसावर तक रोड भी नहीं बनी है निवर्तमान विधायक रामवीर उपाध्याय ने एक पत्थर भी 5 साल में नहीं लगाया. उधर, नौकरी से रिटायर हुए एक बुजुर्ग  का मानना है कि पहले व्यापारी के साथ खूब लूट होती थी अब उसमें सुधार आया है. वे कुछ अन्‍य लोगों के दावों से उलट कते हैं कि बीजेपी के शासन में कानून व्यवस्था अच्छी है. हाथरस के आसपास में घुंघरु उद्योग से जुड़े करीब 20 हजार से ज्यादा लोग हैं. लॉकडाउन में नौकरी गंवाकर लौटे लोग भी इस उद्योग में लगे हैं. बेरोजगारी के चलते तमाम और लोग इसमें जुड़ गए हैं, इसी के चलते मजदूरी कम हो गई है जहां पहले 500 का मार्जिन था अब 200 रुपए का हो गया है, लेकिन इन सबके बावजूद न तो घुंघरु उद्योग को बढ़ाने पर बात होती है, न ही सड़क से लेकर थाने तक के मुद्दे पर किसी नेता का कोई ध्यान है.
 

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