
अमित शाह ने की जाट नेताओं से मुलाकात (फाइल फोटो)
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जाट आरक्षण आंदोलन का जिक्र किया
गन्ना किसानों को उचित दाम मिलने की मांग
शाह बोले- क्या अजित सिंह को वोट देंगे
अमित शाह का जवाब
सूत्रों के अनुसार, शाह ने दो घंटे इन नेताओं की बात सुनने के बाद अपनी बात शुरू की. शाह ने इन नेताओं से कई सवाल पूछे. शाह ने पूछा कि अगर वह बीजेपी को वोट नहीं देना चाहते तो ये जरूर बताएं कि वे किसे वोट देंगे? क्या वे अजित सिंह को वोट देंगे जो अगर चालीस सीट भी जीत लें तो मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे.
क्या वे सपा-कांग्रेस गठबंधन को वोट देंगे जिन पार्टियों ने जाटों को आरक्षण देने के खिलाफ कोर्ट में हलफ़नामा दिया था या मायावती की बीएसपी को वोट देंगे जिसमें जाटों को न के बराबर टिकट दिए और सौ से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे?
शाह ने कहा कि बीजेपी ने हमेशा जाटों का साथ दिया, वह चाहे यूपी हो, हरियाणा या फिर राजस्थान. शाह ने कहा कि यूपी में जाटों को आरक्षण तब दिया जब रामप्रकाश गुप्ता की अगुवाई में बीजेपी सरकार थी. राजस्थान में भी वसुंधरा राजे सरकार ने जाट आरक्षण दिया जबकि वहां कांग्रेस ने इसका विरोध किया था. हरियाणा में भी संतोषजनक समाधान निकालने का प्रयास किया गया.
इसी तरह गन्ना ख़रीद का बक़ाया देने के बारे में बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में साफ जिक्र किया है. शाह ने किसानों का क़र्ज़ माफ़ करने का वादा भी दोहराया. शाह ने बताया कि बीजेपी ने बड़ी संख्या में जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. उन्होंने अजीत सिंह के चुनाव क्षेत्र बागपत का ख़ासतौर से जिक्र किया जहां की पांचों विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने जाट उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं.
बैठक का असर
बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि यह बैठक बहुत कामयाब रही और बैठक से निकलने के साथ ही जाट नेताओं ने अपने-अपने समर्थकों को फोन कर बीजेपी के पक्ष में काम करने का निर्देश दे दिया. हरियाणा में भी आंदोलनकारी जाट नेताओं से बातचीत के निर्देश राज्य सरकार को दिए गए.
बुधवार पूरे दिन बीजेपी नेता अपने स्तर पर ज़मीनी हालात का जायज़ा लेते रहे कि इस मुलाकात के बाद बीजेपी के पक्ष में माहौल किस हद तक बदला है. पार्टी नेता लगातार फोन कर बूथ लेवल कार्यकर्ताओं से पूछते रहे कि इस बैठक के बाद जाट नेता बीजेपी के पक्ष में सकारात्मक संदेश जमीन तक किस हद तक पहुंचा पाए हैं.
गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की १४० सीटें बीजेपी के लिए बेहद अहम हैं और पार्टी यहां से बड़ी जीत की उम्मीद लगाए बैठी है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से सारी सीटें जीती थीं. लेकिन नोटबंदी और जाटों की नाराजगी की खबरों के चलते बीजेपी अपनी बढ़त किस हद तक बरक़रार रख पाएगी, यह सवाल बार-बार पूछा जा रहा है.
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