एक तरफ उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का नामांकन आज से शुरू हो रहा है, तो दूसरी ओर इन चुनाव में लोगों तक शराब पहुंचाने के तस्कर नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं. यूपी के पंचायत चुनाव में अवैध शराब (Illicit Liquor)की कहीं दूध के वैन से, तो कहीं कोरोना वैक्सीन के वैन से तस्करी हो रही है. मंगलवार रात को गाजियाबाद पुलिस ने जब एक दूध के वैन का दरवाजा खोला तो दूध के बजाए हरियाणा से तस्करी की शराब पेटियां इस वैन में भरी मिलीं. ट्रक के अंदर तहखाना बनाकर पंचायत चुनाव के लिए शराब की तस्करी की जा रही थी.
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दूध ही नहीं, जनऔषधि सप्लाई और कोरोना वैक्सीन लाने का पास बनवा कर हरियाणा से तस्करी करके शराब उप्र पहुंचाई जा रही थी.शराब तस्करी का सबसे तेज रूट ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल है हरियाणा से बैठकर पंद्रह से बीस मिनट में तस्कर इसके जरिये यूपी में पहुंच जाते हैं इसलिए ये तस्करों के लिए मनपसंद रास्ता बन गया है. पंचायत चुनाव में शराब की ऐसी मांग है कि तस्कर ही नहीं, पंचायत चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की लग्जरी गाड़ियों से भी तस्करी की सैकड़ों बोतल शराब मिल रही है. हापुड़ के एसपी नीरज जादौन बताते हैं, 'हमने जनऔषधि की एक गाड़ी पकड़ी जब पूछताछ की तो उसने बताया कि कोरोना वैक्सीन ले जा रहा है लेकिन तलाशी लेने पर वैन के अंदर से शराब बरामद हुई है.
उधर, यूपी के कई इलाकों में कच्ची शराब बनाने के गिरोह भी सक्रिय हैं. दूरदराज के जंगलों या गन्ने के इस तरह के खेत में अवैध शराब पॉलीथीन में भरकर दबा दी जाती है और जब पंचायत चुनाव नजदीक आते तो उनको बांटा जाता है. ये समस्या इतनी गहरी है कि पंचायत चुनाव की घोषणा के बाद अब तक जहरीली शराब पीने से 25 लोगों की मौत भी हो चुकी है लेकिन इसके बावजूद चुनाव में शराब बांटने का सिलसिले थम नहीं रहा है.
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