लखनऊ:
प्रतापगढ़ के कुंडा में सीओ के तौर पर तैनात पुलिस उपाधीक्षक जियाउल हक हत्याकांड मामले में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने सोमवार को इस्तीफा दे दिया। मामले में उनके दो करीबियों को गिरफ्तार किया गया और तीन पुलिसकर्मी निलंबित किए गए, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई। पीड़ित परिवार की मांग पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) से कराने के आदेश दे दिए।
सीओ की पत्नी परवीन आजाद की शिकायत पर राजा भैया के खिलाफ हत्या की साजिश रचने व उनके सात समर्थकों के खिलाफ प्रतापगढ़ में हत्या में शामिल होने का मुकदमा रविवार को दर्ज किया गया। मामले में अब तक गुडडू सिंह और राजीव सिंह को गिरफ्तार किया गया, जो राजा भैया के करीबी बताए जा रहे हैं।
मामले को तूल पकड़ता देख राजा भैया ने सुबह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लखनऊ में मुलाकात करके अपना इस्तीफा सौंप दिया। उनका इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया गया।
इस्तीफे को नाकाफी बताते हुए विपक्षी दलों ने विधानसभा में राजा भैया की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। बहुजन समाज पार्टी नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि सीओ की हत्या सुनियोजित ढंग से कराई गई। अखिलेश सरकार को एक मिनट भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है।
इस्तीफा देने के बाद राजा भैया ने सदन के साथ-साथ मीडिया को भी अपनी सफाई दी। राजा भैया ने अपनी सफाई में कहा, "मेरा सीओ हत्याकांड से कोई लेना देना नहीं है। मुझे सीओ की हत्या करवाने की क्या जरूरत थी अगर सीओ से मुझे कोई समस्या होती तो मैं तबादला करवा देता। मेरी सरकार थी और मैं मंत्री पद पर था।" उन्होंने कहा, "सीओ करीब छह महीने से कुंडा में तैनात थे। वह बहुत अच्छे और सरल स्वभाव के अधिकारी थे। मुझे उनसे कोई दिक्कत नहीं थी। उल्टा मैंने सुना कि वह खुद कहते थे कि कुंडा में कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया जाता। काम करने के लिए यह अच्छी जगह है।"
राजा भैया ने कहा, "जो लोग मुझे मंत्री पद से हटाना चाहते थे वे कामयाब हो गए। लेकिन अब फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर असली दोषियों को सजा नहीं मिल पाएगी।"
राजा भैया के इस्तीफे के बाद पुलिस महानिदेशक एसी शर्मा को देवरिया भेजकर मुख्यमंत्री अखिलेश को लगा था कि कठोर कारवाई की मांग को लेकर धरना पर बैठा सीओ का परिवार अंतिम संस्कार के लिए राजी हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
पुलिस महानिदेशक को गांव में परिजनों और स्थानीय लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। परिवार की मांग थी कि जब तक मुख्यमंत्री स्वयं आकर सीबीआई जांच का ऐलान नहीं करेंगे, अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।
हालात से मजबूर मुख्यमंत्री अखिलेश शाम को लखनऊ से देवरिया के लिए रवाना हुए और सीओ के पैतृक गांव- नूनखार जुवाफार जाकर परिजनों से मिलकर हत्याकांड की सीबीआई जांच का ऐलान किया।
इस दौरान उन्होंने पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये आर्थिक मदद, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए। मुख्यमंत्री से आश्वासन मिलने के बाद हक का परिवार अंतिम संस्कार करने के लिए राजी हुआ।
अखिलेश ने कहा कि राज्य सरकार घटना को लेकर बहुत आहत है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा चाहे वह कोई भी हो। उन्होंने कहा कि अगर पूर्व कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया हत्याकांड में दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ भी कठोर कारवाई होगी।
इससे पहले राज्य सरकार ने सीओ हत्याकांड में घटना के दिन उन्हें मौके पर अकेले छोड़कर भागने वाले तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।
उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) अरुण कुमार ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि कुंडा कोतवाली के प्रभारी सर्वेश मिश्रा, वरिष्ठ उपनिरीक्षक विनय कुमार सिंह और सीओ के गनर इमरान को निलंबित कर दिया गया है। इस बात की जांच की जा रही है कि ये पुलिसकर्मी किन परिस्थितियों में अपने अधिकारी को मौके पर अकेला छोड़कर भागे।
इससे पहले, प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खान ने हक को अकेला छोड़कर भागने वाले पुलिसकर्मियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा था कि हमले के वक्त भागने वाले पुलिसकर्मी या तो कायर थे या हत्या की साजिश में शामिल थे। ऐसे पुलिसकर्मियों को नौकरी में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
उल्लेखनीय है कि कुंडा क्षेत्र के वलीपुर गांव में शनिवार देर रात दो गुटों के बीच हुई गोलीबारी की घटना में गांव के प्रधान नन्हें सहित दो लोगों की हत्या कर दी गई। घटना को नियंत्रित करने पहुंचे कुंडा के सीओ जिला उल हक की भी हिंसा के दौरान भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी।
सीओ की पत्नी परवीन आजाद की शिकायत पर राजा भैया के खिलाफ हत्या की साजिश रचने व उनके सात समर्थकों के खिलाफ प्रतापगढ़ में हत्या में शामिल होने का मुकदमा रविवार को दर्ज किया गया। मामले में अब तक गुडडू सिंह और राजीव सिंह को गिरफ्तार किया गया, जो राजा भैया के करीबी बताए जा रहे हैं।
मामले को तूल पकड़ता देख राजा भैया ने सुबह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लखनऊ में मुलाकात करके अपना इस्तीफा सौंप दिया। उनका इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया गया।
इस्तीफे को नाकाफी बताते हुए विपक्षी दलों ने विधानसभा में राजा भैया की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। बहुजन समाज पार्टी नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि सीओ की हत्या सुनियोजित ढंग से कराई गई। अखिलेश सरकार को एक मिनट भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है।
इस्तीफा देने के बाद राजा भैया ने सदन के साथ-साथ मीडिया को भी अपनी सफाई दी। राजा भैया ने अपनी सफाई में कहा, "मेरा सीओ हत्याकांड से कोई लेना देना नहीं है। मुझे सीओ की हत्या करवाने की क्या जरूरत थी अगर सीओ से मुझे कोई समस्या होती तो मैं तबादला करवा देता। मेरी सरकार थी और मैं मंत्री पद पर था।" उन्होंने कहा, "सीओ करीब छह महीने से कुंडा में तैनात थे। वह बहुत अच्छे और सरल स्वभाव के अधिकारी थे। मुझे उनसे कोई दिक्कत नहीं थी। उल्टा मैंने सुना कि वह खुद कहते थे कि कुंडा में कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया जाता। काम करने के लिए यह अच्छी जगह है।"
राजा भैया ने कहा, "जो लोग मुझे मंत्री पद से हटाना चाहते थे वे कामयाब हो गए। लेकिन अब फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर असली दोषियों को सजा नहीं मिल पाएगी।"
राजा भैया के इस्तीफे के बाद पुलिस महानिदेशक एसी शर्मा को देवरिया भेजकर मुख्यमंत्री अखिलेश को लगा था कि कठोर कारवाई की मांग को लेकर धरना पर बैठा सीओ का परिवार अंतिम संस्कार के लिए राजी हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
पुलिस महानिदेशक को गांव में परिजनों और स्थानीय लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। परिवार की मांग थी कि जब तक मुख्यमंत्री स्वयं आकर सीबीआई जांच का ऐलान नहीं करेंगे, अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।
हालात से मजबूर मुख्यमंत्री अखिलेश शाम को लखनऊ से देवरिया के लिए रवाना हुए और सीओ के पैतृक गांव- नूनखार जुवाफार जाकर परिजनों से मिलकर हत्याकांड की सीबीआई जांच का ऐलान किया।
इस दौरान उन्होंने पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये आर्थिक मदद, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए। मुख्यमंत्री से आश्वासन मिलने के बाद हक का परिवार अंतिम संस्कार करने के लिए राजी हुआ।
अखिलेश ने कहा कि राज्य सरकार घटना को लेकर बहुत आहत है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा चाहे वह कोई भी हो। उन्होंने कहा कि अगर पूर्व कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया हत्याकांड में दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ भी कठोर कारवाई होगी।
इससे पहले राज्य सरकार ने सीओ हत्याकांड में घटना के दिन उन्हें मौके पर अकेले छोड़कर भागने वाले तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।
उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) अरुण कुमार ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि कुंडा कोतवाली के प्रभारी सर्वेश मिश्रा, वरिष्ठ उपनिरीक्षक विनय कुमार सिंह और सीओ के गनर इमरान को निलंबित कर दिया गया है। इस बात की जांच की जा रही है कि ये पुलिसकर्मी किन परिस्थितियों में अपने अधिकारी को मौके पर अकेला छोड़कर भागे।
इससे पहले, प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आजम खान ने हक को अकेला छोड़कर भागने वाले पुलिसकर्मियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा था कि हमले के वक्त भागने वाले पुलिसकर्मी या तो कायर थे या हत्या की साजिश में शामिल थे। ऐसे पुलिसकर्मियों को नौकरी में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
उल्लेखनीय है कि कुंडा क्षेत्र के वलीपुर गांव में शनिवार देर रात दो गुटों के बीच हुई गोलीबारी की घटना में गांव के प्रधान नन्हें सहित दो लोगों की हत्या कर दी गई। घटना को नियंत्रित करने पहुंचे कुंडा के सीओ जिला उल हक की भी हिंसा के दौरान भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी।
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