यूपी में बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीच किधर जाता दिख रहा मतदान?

यह भारतीय जनता पार्टी के लिए अकेले योगी आदित्यनाथ का चुनाव नहीं है, इसमें नरेंद्र मोदी अगर नहीं हों, उनकी सरकार के बारे में उल्लेख नहीं हो तो फिर बीजेपी अधूरी रहेगी

नई दिल्ली:

यूपी में तीन चरणों का मतदान खत्म हो चुका है. चौथे चरण का मतदान चल रहा है. इस चरण में 621 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. लखनऊ की 9 विधानसभा सीटों पर भी इसी चरण में मतदान है. बढ़ती सियासी सरगर्मी के बीच किधर जाता दिख रहा है मतदान? उत्तर प्रदेश के लखनऊ में चौथे चरण में मतदान हुआ है. यूपी में पिछले तीन चरणों में देखने को मिला कि लगातार इन तीनों चरणों में वोटिंग परसेंटेज 2017 के मुकाबले कम रहा. अब इसके क्या मायने हैं? क्या इसका मतलब ये है कि कोई वेब नहीं है? क्या इसका मतलब ये है कि किसी के समर्थक, किसी के वोटर आ नहीं रहे हैं? या इसका मतलब ये है कि आ रहे हैं, पर कम गति से आ रहे हैं, कम संख्या में आ रहे हैं. लेकिन वोट वहीं दे रहे हैं जहां उन्होंने 2017 में दिया था.

तमाम तरीके के विश्लेषण हैं, उनमें आम तौर पर एक विश्लेषण ये किया जाता है कि कम वोटिंग का मतलब जो इनकम्बेंट्स हैं ये उनके खिलाफ जाता है. लेकिन अलग अलग लोगों ने अलग-अलग तरीके से इसका विश्लेषण किया है. 

कुछ बहुत रोचक मुकाबले हो रहे हैं. जैसे लखीमपुर में क्या अजय मिश्रा टेनी की जीत पर वोट की चोट लगेगी या नहीं? ये एक बडी बात है, ये देखना होगा. इसके बाद लखनऊ और रायबरेली का भी मुकाबला रोचक है. हाल ही में कांग्रेस से छिटककर बीजेपी में आई अदिति सिंह अपना गढ़ बचा सकती हैं या नहीं? उनके पिताजी की बड़ी खासी लीगेसी रही है. क्या वे उसको बचा सकती हैं या नहीं? ये एक सवाल होगा. 

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ट्विटर पर, प्रचार में हर जगह डबल इंजन की सरकार लिखते रहे. यह बीजेपी की रणनीति है. डबल इंजन की बात आज से नहीं हो रही. जब से चुनाव प्रचार शुरू हुआ तब से डबल इंजन की बात हो रही है. सीधी सी बात है कि आप ये मान लीजिए कि ये भारतीय जनता पार्टी के लिए अकेले योगी आदित्यनाथ का चुनाव नहीं है. इसमें नरेंद्र मोदी को अगर आप नहीं डालेंगे, उनकी सरकार के बारे में उल्लेख नहीं करेंगे तो फिर बीजेपी अधूरी रहेगी. यही रणनीति बीजेपी शुरुआत से अपनाए हुए है कि वह एक नया एमवाई फैक्टर लेकर आगे बढ़े . यानि कि मोदी और योगी फैक्टर, मुस्लिम-यादव नहीं. रामपुर में इसका उल्लेख मुख्तार अब्बास नकवी ने भी किया था. इसी वजह से डबल इंजन की बात बार- बार होती रहती है. 

बीजेपी की जो पूरी रणनीति है उत्तर प्रदेश में, जो इतने चरणों में हमें देखने को मिली है, वह यह है कि किस तरीके से आप सारी चीजें घोंटकर एक चुनावी खिचड़ी बनाएं, जिसमें सब कुछ हो. इस पेस्ट में उसने विकास के बारे में भी बात डाली है, डबल इंजन की बात भी डाली है. इसमें सपा में जो कथित तौर पर अराजकता होती थी उसके बारे में भी बात डाली है. हिन्दू-मुसलमान का तड़का भी लगाया है. ये सारी चीजें मिक्स करके जनता में प्रस्तुत की जा रही हैं. ऐसा नहीं है कि बीजेपी की कोई एक ही चीज बड़ी हावी है, कि जमीन पर सिर्फ हिन्दू-मुसलमान ही कर रहे हैं. आप अगर जमीन की कैंपेनिंग देखें तो लगातार उसमें सब कुछ है. उसमें लॉ एंड ऑर्डर पर भी फोकस किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि अगर वे आ गए ना,  तो देखिए फिर हमारे पास मत आना, लॉ एंड ऑर्डर बड़ा खराब हो जाएगा. कानपुर में कुछ ट्रेडर्स को इस तरीके की बात डोर टू डोर कैंपेन में भी बोली जा रही है. 

ये सारी चीजें हैं जो कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की रणनीति बना रही हैं. यह कितनी कारगर होंगी ये देखना होगा. समाजवादी पार्टी लोगों से कह रही है कि देखो तुम्हारे साथ कितना बुरा हुआ. पांच साल में बेरोजगारी कितनी बढ़ गई, क्या प्रॉब्लम आ रही हैं. क्या आप दोबारा ऐसी सरकार चाहते हैं? वह रॉ इमोशंस पर ऑपरेट कर रही है. बीजेपी इस मिश्रण पर काम कर रही है. एक चूर्ण तैयार किया, वह चुनावी चूर्ण पर काम कर रही है. और इसके साथ-साथ बूथ लेवल मैनेजमेंट हमने हर जगह देखा है. यह बहुत ही प्रबल तरीके से उन्होंने किया है. 

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बीजेपी की एक-एक रणनीति यहां जमीन पर दिख रही है. तो ये कहना कि इस बार वह इतने डिस्प्रिट हैं कि वे एक ही तरफ का राग आलाप रहे हैं, उचित नहीं होगा.