स्‍वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान के बीजेपी से 'मोहभंग' में सपा के लिए भारी फायदा देख रहे अखिलेश यादव

​भाजपा के प्रभावशाली ओबीसी नेता दारा सिंह चौहान के भाजपा का साथ छोड़ने के बाद पार्टी को पिछले 48 घंटे में लगने वाला यह दूसरा झटका है. हालांकि इस खबर से समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव काफी खुश नजर आ रहे हैं.

स्‍वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान के बीजेपी से 'मोहभंग' में सपा के लिए भारी फायदा देख रहे अखिलेश यादव

चुनाव से पहले भाजपा का ओबीसी नेतृत्व कमजोर हो रहा है.

लखनऊ:

विधानसभा चुनाव से पहले उत्तरप्रदेश योगी आदित्यनाथ सरकार को एक और झटका लगा है. ​भाजपा के प्रभावशाली ओबीसी नेता दारा सिंह चौहान के भाजपा का साथ छोड़ने के बाद पार्टी को पिछले 48 घंटे में लगने वाला यह दूसरा झटका है. हालांकि इस खबर से समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव काफी खुश नजर आ रहे हैं. यादव ने ट्वीट कर लिखा,"‘सामाजिक न्याय' के संघर्ष के अनवरत सेनानी श्री दारा सिंह चौहान जी का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन! सपा व उसके सहयोगी दल एकजुट होकर समता-समानता के आंदोलन को चरम पर ले जाएंगे… भेदभाव मिटाएंगे! ये हमारा समेकित संकल्प है! सबको सम्मान ~ सबको स्थान!"

इस ट्वीट के साथ यादव ने चौहान के साथ अपनी एक तस्वीर भी साझा की. हालांकि चौहान ने कहा है कि वह जल्द ही समर्थकों से मिलेंगे और अपनी अगले कदम के बारे में फैसला करेंगे.

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चुनाव के महज एक महीना पहले कद्दावर नेताओं का भाजपा का साथ छोड़ कर जाना अखिलेश यादव को खासा आनंदित कर रहा है. कल जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी छोड़ने की घोषणा की थी, तब भी अखिलेश ने मौर्य के साथ अपनी एक तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था, "सामाजिक न्याय और समता-समानता की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नेता श्री स्वामी प्रसाद मौर्या जी एवं उनके साथ आने वाले अन्य सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन! सामाजिक न्याय का इंक़लाब होगा ~ बाइस में बदलाव होगा."

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मौर्य और चौहान का यूपी कैबिनेट और भाजपा से इस्तीफा पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है.  मौर्य ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा था कि मेरे इस कदम ने भाजपा में भूचाल ला दिया है. उन्होंने दावा किया था कि उनके बाद और भी नेता व विधायक पार्टी छोड़ेंगे.

चुनाव से पहले भाजपा का ओबीसी नेतृत्व कमजोर हो रहा है, जहां पार्टी के मुख्य चुनौती अखिलेश यादव हैं, और चुनाव जीतने के लिए ओबीसी समुदायों के वोट महत्वपूर्ण हैं.

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