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This Article is From Oct 23, 2015

मैसूर के दशहरे में अजूबा : अरे रावण भाई जरा इधर तो देखो...छा गए!

मैसूर के दशहरे में अजूबा : अरे रावण भाई जरा इधर तो देखो...छा गए!
मैसूर में दशहरे के चल समारोह में शामिल रावण।
बेंगलुरु: मैसूर के दशहरे में बुराई का प्रतीक महिसासुर राक्षस है जिसका वध माता चामुंडेश्वरी ने कर लोगों को रहत दिलाई थी। दशहरे में यहां साढ़े सात सौ किलो के शुद्ध सोने से बने अम्बारी (सिंहासन) में गजराज की पीठ पर विराजित माता चामुंडेश्वरी की शाही सवारी इस पर्व की शान कहलाती है। इस मौके पर महिसासुर का अभिनय भी राक्षस की वेशभूषा में स्थानीय कलाकार करते हैं। इस बार परंपरा से हटकर रावण का आगमन मैसूर के दशहरे में हुआ।

रावण ने दी सरप्राइज
इस बार जम्बो सवारी से पहले निकलने वाली झांकियों में पहली बार दशानन दिखे। उत्तर भारत में मनाए जाने वाले दशहरे का विद्वान खलनायक रावण  पहली बार इस राजसी दशहरे में था। जो मैसूर के दशहरे को अच्छी तरह जानते हैं उन्हें रावण को देखकर थोड़ी हैरत हुई।

उत्तर भारतीयों की मौजूदगी का असर
मैसूर राजमहल के मुख्य द्वार पर स्थापित भुंनेश्वरी मंदिर में अपने दादा राज पुरोहित सूर्यनारायण जी के कामो में मदद करने वाले बीटेक के छात्र गौतम ने भी पहली बार रावण को मैसूर के दशहरे में देखा। उन्हें लगता है कि आईटी कंपनियों की वजह से उत्तर भारत से बड़ी तादाद में लोग कर्नाटक आए हैं। इस बार दशहरे की झांकी में रावण की मौजूदगी इसी का नतीजा है।

रावण बना मनोरंजन का साधन
मैसूर के दशहरे की झांकी में इस रावण ने लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। हर तरफ से रावण-रावण की आवाज़ सुनाई दे रही थी। रावण ने किसी को निराश नहीं किया। जिस तरफ से आवाज उठी, वहां बैठे दर्शकों का उसने अभिवादन किया। कोई कह रहा था रावण भाई जरा इधर तो देखो...अरे आप तो छा गए। और रावण के बाद निकला वो सजे संवरे हाथियों का काफिला जिसकी एक झलक पाने को सभी बेताब रहते हैं।

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