नई दिल्ली:
देश में शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए अब केंद्र और राज्य सरकार के साथ निजी रेडियो चैनलों भी मिलकर काम करेंगे। बाल अधिकारों पर काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था 'यूनिसेफ' ने निजी रेडियो चैनलों की संस्था एसोसिएशन ऑफ रेडियो ऑपरेटर्स ऑफ इंडिया (एआरओआई) के साथ पहल करने का फैसला करते हुए भारत में सस्टेनेबल डेवेलपमेंट गोल (एसडीजी) के तहत बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए जागरुकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है।
यूनिसेफ की चीफ ऑफ कम्यूनिकेशन कैरोलीन डेन डक ने बताया कि देश में सबसे ताकतवर संचार का माध्यम रेडियो है। लिहाजा, दूर दराज तक आसानी से पहुंचने वाले इस माध्यम के जरिए हमने शिशु मृत्युदर को कम के लिए जागरूकता बढ़ाने का निर्णय लिया है।
डक ने कहा कि हालांकि ऑल इंडिया रेडियो हमेशा ही स्वास्थ्य संबंधी खबरें और जानकारियां जानकारियां उपलब्ध कराता रहता है, लेकिन अब खुशी की बात यी भी है कि निजी रेडियो चैनलों ने भी खुद ऐसे सोशल हेल्थ विषयों पर आगे बढ़कर काम करने की इच्छा जताई है। डक ने आगे कहा, देश के अलग-अलग राज्यों में मौजूद निजी रेडियो चैनलों के आगे आने से हमें हर नागरिक तक बच्चों की सेहत से जुड़ी जानकारियां पहुंचाने में मदद मिलेगी।
वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. राकेश कुमार का भी कहना है कि साल 2030 तक शिशु मृत्युदर को प्रति एक हजार में 12 तक लाना है। ऐसे में निजी रेडियो की पहल इस संदर्भ में काफी मददगार साबित होगी। हाल ही में मां और बच्चों की सेहत पर हुए 'कॉल टू एक्शन' की बैठक में मीडिया की भूमिका को काफी गंभीरता से लिया गया। डॉ. राकेश ने कहा, हमें देश के हर नागरिक तक अपने संदेश प्रभावशाली तरीके से पहुंचाने की जरुरत है।
यूनिसेफ की चीफ ऑफ कम्यूनिकेशन कैरोलीन डेन डक ने बताया कि देश में सबसे ताकतवर संचार का माध्यम रेडियो है। लिहाजा, दूर दराज तक आसानी से पहुंचने वाले इस माध्यम के जरिए हमने शिशु मृत्युदर को कम के लिए जागरूकता बढ़ाने का निर्णय लिया है।
डक ने कहा कि हालांकि ऑल इंडिया रेडियो हमेशा ही स्वास्थ्य संबंधी खबरें और जानकारियां जानकारियां उपलब्ध कराता रहता है, लेकिन अब खुशी की बात यी भी है कि निजी रेडियो चैनलों ने भी खुद ऐसे सोशल हेल्थ विषयों पर आगे बढ़कर काम करने की इच्छा जताई है। डक ने आगे कहा, देश के अलग-अलग राज्यों में मौजूद निजी रेडियो चैनलों के आगे आने से हमें हर नागरिक तक बच्चों की सेहत से जुड़ी जानकारियां पहुंचाने में मदद मिलेगी।
वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. राकेश कुमार का भी कहना है कि साल 2030 तक शिशु मृत्युदर को प्रति एक हजार में 12 तक लाना है। ऐसे में निजी रेडियो की पहल इस संदर्भ में काफी मददगार साबित होगी। हाल ही में मां और बच्चों की सेहत पर हुए 'कॉल टू एक्शन' की बैठक में मीडिया की भूमिका को काफी गंभीरता से लिया गया। डॉ. राकेश ने कहा, हमें देश के हर नागरिक तक अपने संदेश प्रभावशाली तरीके से पहुंचाने की जरुरत है।
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