नई दिल्ली:
यूनिसेफ इंडिया ने अपने सोशल मीडिया अभियान के तहत 'फेयर स्टार्ट' फिल्म को जारी किया, जिसमें भारत में बच्चों के एक बड़े समूह के साथ असमानताओं के कारण प्रभावित हो रहे उनके अस्तित्व और विकास पर ध्यान दिया गया है। अभियान के दौरान प्रभावपूर्ण फिल्मों की एक श्रृंखला में विभिन्न पृष्ठभूमि से लाखों बच्चों को दिखाया जाएगा। इनमें शिक्षा, स्वच्छता, कम उम्र में शादी, नवजात शिशु का स्वास्थ्य, बच्चों की निम्नवृद्धि आदि शामिल हैं।
यूनिसेफ की एडवोकेसी एंड कम्युनिकेशन, प्रमुख कैरोलिन डेन डक ने कहा कि 'हर बच्चा अपने जीवन में एक निष्पक्ष शुरुआत का हकदार है और वह पर्याप्त पोषण, शिक्षा, स्वच्छता, सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल का हक रखता है। यह कैंपेन उन बच्चों की जिंदगी की तरफ ध्यान खींचता है, जो ऐसे बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं।'
कैरोलिन बताती हैं, 'मौजूदा वक्त में भारत में 61 लाख बच्चे स्कूल की पहुंच से बाहर हैं। करीब एक करोड़ बच्चे देश भर में बचपन में काम करने को मजबूर हैं। करीब 3,500 बच्चे रोजाना 5 साल की तक पहुंचने उम्र से पहले ही मर जाते हैं। भारत में 42 फीसदी आदिवासी बच्चों का विकास अवरुद्ध है। साथ ही भारत की लगभग आधी जनसंख्या, करीब 56.4 करोड़ लोग अब भी खुले में शौच जाते हैं। देश में लड़कियों को भी जीवन में बराबर का मौका मिलना चाहिए, लेकिन औसतन 22.2 लाख लड़कियों की हर साल जल्दी शादी कर दी जाती है।'
दरअसल, इस अभियान के जरिए उन बच्चों की जिंदगी के प्रति बड़ी संख्या में लोगों को जागरुक किया जा रहा है, जो तमाम सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं। इसका उद्देश्य हर बच्चे को जाति, धर्म और लिंग के आधार पर समानता का अधिकार दिलाना है।
यूनिसेफ की एडवोकेसी एंड कम्युनिकेशन, प्रमुख कैरोलिन डेन डक ने कहा कि 'हर बच्चा अपने जीवन में एक निष्पक्ष शुरुआत का हकदार है और वह पर्याप्त पोषण, शिक्षा, स्वच्छता, सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल का हक रखता है। यह कैंपेन उन बच्चों की जिंदगी की तरफ ध्यान खींचता है, जो ऐसे बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं।'
कैरोलिन बताती हैं, 'मौजूदा वक्त में भारत में 61 लाख बच्चे स्कूल की पहुंच से बाहर हैं। करीब एक करोड़ बच्चे देश भर में बचपन में काम करने को मजबूर हैं। करीब 3,500 बच्चे रोजाना 5 साल की तक पहुंचने उम्र से पहले ही मर जाते हैं। भारत में 42 फीसदी आदिवासी बच्चों का विकास अवरुद्ध है। साथ ही भारत की लगभग आधी जनसंख्या, करीब 56.4 करोड़ लोग अब भी खुले में शौच जाते हैं। देश में लड़कियों को भी जीवन में बराबर का मौका मिलना चाहिए, लेकिन औसतन 22.2 लाख लड़कियों की हर साल जल्दी शादी कर दी जाती है।'
दरअसल, इस अभियान के जरिए उन बच्चों की जिंदगी के प्रति बड़ी संख्या में लोगों को जागरुक किया जा रहा है, जो तमाम सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं। इसका उद्देश्य हर बच्चे को जाति, धर्म और लिंग के आधार पर समानता का अधिकार दिलाना है।
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