भारतीय वैज्ञानिक ने पानी की बूंद से बनाई बिजली, अब यूनेस्को देगा सम्मान

ज्ञात हो, सात वर्षो से यह पुरस्कार ऐसे वैज्ञानिकों और संस्थानों को दिया जाता है, जिन्होंने नैनो विज्ञान और प्रौद्यागिकी के विकास में महत्वपूर्ण कार्य किया है. 2010 में शुरू किए इस पुरस्कार से अब तक 37 व्यक्तियों एवं संस्थानों को नवाजा जा चुका है.

भारतीय वैज्ञानिक ने पानी की बूंद से बनाई बिजली,  अब यूनेस्को देगा सम्मान

खास बातें

  • यूनेस्को ने माना भारतीय वैज्ञानिका आशुतोष का लोहा
  • भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर हैं आशुतोष
  • आशुताष शर्मा ने पानी की बूंद से तैयार की है बिजली
नई दिल्ली:

यूनेस्को ने भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा समेत विश्व के सात वैज्ञानिकों व संस्थानों को 2017 के यूनेस्को मेडल से नवाजा है. यूनेस्को के पेरिस स्थित मुख्यालय में चयनित वैज्ञानिकों को गत दिवस यह सम्मान प्रदान किया गया. प्रो.आशुतोष शर्मा को नैनो-विज्ञान एवं नैनो-प्रौद्योगिकी के विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए चुना गया है. इस वर्ष यह पुरस्कार नीदरलैंड्स के वैज्ञानिक प्रोफेसर थियो रेजिंग, कंबोडिया के डॉ. हन मेनी, रूस के डॉ. व्लादिमीर बोल्शकोव, अमेरिकी संस्थान कीसाइट टेक्नोलॉजी, जापानी कंपनी टोयोडा गोसेई व मास्को टेक्नोलोजिकल यूनिवर्सिटी को भी दिया गया है. ज्ञात हो, सात वर्षो से यह पुरस्कार ऐसे वैज्ञानिकों और संस्थानों को दिया जाता है, जिन्होंने नैनो विज्ञान और प्रौद्यागिकी के विकास में महत्वपूर्ण कार्य किया है. 2010 में शुरू किए इस पुरस्कार से अब तक 37 व्यक्तियों एवं संस्थानों को नवाजा जा चुका है.

यूनेस्को की महानिदेशक आरिना बोस्कोवा ने कहा,दवा निर्माण में अभिनव पदाथोर्ं के विकास से लेकर जल प्रदूषण कम करने और संचार तकनीक में नैनो-प्रौद्योगिकी की अहम भूमिका है, जिनका हमारे जीवन पर सीधा असर पड़ता है. नैनो-विज्ञान ने चिकित्सा सहित अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है.

पानी की बूंदों से बिजली उत्पन्न

द्वितीय 'भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव' की रोचक गतिविधियों का समापन हो गया है. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने रविवार को 'डीएसटी इंस्पायर' नाम से प्रोग्राम चलाया गया. इसके तहत देश में शोध और नई पद्धति पर जोर दिया गया. पांच दिन तक चले इस विज्ञान महोत्सव में एनपीएल के वैज्ञानिक डॉ.आर.के.कोटनाला और उनकी सहयोगी डॉ.ज्योति शाह के एक आविष्कार ने लोगों का ध्यान खींचा. 'हाइड्रोइलेक्ट्रिक सेल्स' के सहारे सामान्य कमरे के तापमान पर पानी से बिजली पैदा की जा सकती है. इस प्रणाली में नैनोपोरस मैग्नीशियम फेराइट से पानी को हाइड्रोनियम (एच30) और हाइड्रॉक्साइड(ओएच) में तोड़ा जाता है, फिर चांदी और जस्ता इलेक्ट्रोड से इसे सेल की तरह उपयोग कर बिजली उत्पन्न की जाती है.

डॉ.कोटनाला ने कहा, "जब हम 2 इंच व्यास के चार सेल्स को सीरीज में जोड़ते हैं, तब इससे 3.6 वोल्ट 80 मिली एम्पियर की बिजली पैदा होती है. इतनी बिजली से हम एलईडी जला सकते हैं."

विज्ञान महोत्सव में देश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से आए 600 छात्रों ने अपनी परियोजनाओं की झांकी दिखाई. सभी छात्रों का चयन देश भर के अलग-अलग राज्यों और जिले से हुआ. इनमें से तीन छात्रों को राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. विजेताओं को अगले वर्ष राष्ट्रपति भवन में इन परियोजनाओं को प्रस्तुत करना होगा. 57 छात्रों को सांत्वना पुरस्कार दिया गया. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो.आशुतोष शर्मा ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया.

इस बार के विज्ञान महोत्सव का आयोजन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा, सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल) के पूसा रोड स्थित परिसर में किया गया. इसमें विज्ञान आधारित कार्यशाला, मेगा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शो, अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल, औद्योगिक-अकादमी सहयोग और विशिष्ट विज्ञान विलेज को सम्मिलित किया गया.

विज्ञान मेले में 'अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव' के दौरान कई फिल्मों का आयोजन किया गया. इस दौरान कई युवा फिल्मकारों को सम्मानित किया गया. कश्मीर के रहने वाले जलालुद्दीन बाबा को उनकी फिल्म 'सेविंग द सेवायर' के लिए पुरस्कृत किया गया. अगले विज्ञान महोत्सव का आयोजन दिल्ली से बाहर किया जाएगा. 


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