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This Article is From Jan 27, 2012

विशिष्ट पहचान पत्र पर बनी सुलह की रणनीति

नई दिल्ली: देश के प्रत्येक नागरिक को पहचान पत्र देने की योजना पर उभरे मतभेदों पर शुक्रवार को एक सुलह की रणनीति बना ली गई।

सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को बिना दोहराव के नागरिकों के बॉयोमीट्रिक आंकड़े जुटाने के लिए कहा।

यूआईडीएआई पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट समिति की बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के बीच जारी कथित लड़ाई का हल निकाल लिया गया। साथ ही योजना आयोग के तहत आने वाले यूआईडीएआई को 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 60 करोड़ कार्ड जारी करने की अनुमति दी गई।

केंद्रीय गृह मंत्रालय राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के तहत शेष 60 करोड़ लोगों को भारत के महापंजीयक द्वारा तैयार किए जा रहे कार्डों की प्रक्रिया पूरी करेगा।

चिदम्बरम ने कहा कि यूआईडीएआई और एनपीआर दोनों एक साथ लोगों के लिए कार्ड तैयार करना शुरू करेंगे और इस प्रक्रिया को वे 2013 के मध्य तक पूरा करने की कोशिश करेंगे।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि इस पूरी प्रक्रिया में पांच प्रतिशत दुहराव हो सकता है जिसे नजरंदाज किया जा सकता है।

ज्ञात हो कि लोगों की बॉयोमीट्रिक जानकारी जुटाने की प्रक्रिया में आंकड़ों के दुहराव और सुरक्षा मुद्दों ने योजना आयोग और केंद्रीय गृह मंत्रालय के बीच मतभेद पैदा कर दिए थे।

अहलूवालिया, यूआईडीएआई के नंदन नीलकेणि के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में चिदम्बरम ने कहा, "एनपीआर बॉयोमीट्रिक आंकड़ा जुटाने का काम जारी रखेगी लेकिन यदि कोई व्यक्ति यह कहता है कि उसे आधार संख्या मिल गया है तो एनपीआर उसका बॉयोमीट्रिक जानकारी नहीं लेगा।"

चिदम्बरम द्वारा सुरक्षा का मुद्दा उठाए जाने पर नीलेकणि ने कहा कि यूआईडीएआई अगले छह से आठ सप्ताहों में अपनी रणनीति की पूरी समीक्षा करेगा।

उल्लेखनीय है कि आधार नाम से मशहूर यूआईडी परियोजना का उद्देश्य प्रत्येक भारतीय नागरिक को एक विशिष्ट पहचान संख्या देना है। जबकि एनपीआर एक आवासीय पहचान जारी करेगा जो नागरिक कार्ड में बदल जाएगा।

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