कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद को सुलझाने के लिए उमा भारती ने बैठक की
नई दिल्ली:
कावेरी नदी के पानी की हिस्सेदारी को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच जारी गतिरोध का कोई समाधान न निकाल पाने से निराश केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि अगर विवाद नहीं निपटा तो वह भूख हड़ताल करेंगी. गौरतलब है कि मतभेदों को दूर करने के लिए केंद्र द्वारा गुरुवार को बुलाई गई बैठक बेनतीजा रही. इस बैठक का आयोजन उच्चतम न्यायालय के मंगलवार के आदेश पर किया गया था. बैठक की अध्यक्षता उमा भारती ने की थी.
उमा भारती ने यह भी कहा कि कर्नाटक सरकार ने उनके मंत्रालय से अनुरोध किया कि कावेरी नदी में पानी की उपलब्धता का जायजा लेने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाए. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस पर जोर दिया. लेकिन तमिलनाडु ने इस पर अपनी सहमति नहीं दी. उन्होंने कहा कि अंतत: अदालत के बाहर कोई समझौता नहीं हो सका.
उन्होंने कहा, "अब एक बार फिर मामला माननीय उच्चतम न्यायालय के सामने है." करीब तीन घंटे चली बैठक में उमा भारती और सिद्धारमैया के अलावा तमिलनाडु के लोक निर्माण मंत्री ई के पलानीस्वामी, दोनों राज्यों के मुख्य सचिव, केंद्रीय जल संसाधन सचिव शशि शेखर और केंद्रीय जल आयोग के अधिकारी भी शामिल हुए.
उमा भारती ने कहा कि बैठक में दोनों राज्यों द्वारा रखे गए विचारों पर मंत्रालय ने गौर किया. उच्चतम न्यायालय में इस मामले में कल सुनवाई होगी और बैठक के बारे में रिपोर्ट पेश की जाएगी. कावेरी नदी के पानी को लेकर बेंगलुरू, मैसूर और मांड्या सहित दोनों राज्यों में तनावपूर्ण स्थिति का जिक्र करते हुए उमा भारती ने शांति सुनिश्चित करने और एक दूसरे के लोगों का ख्याल रखने की अपील की.
उन्होंने भावनात्मक अपील करते हुए कहा, "अगर समस्या कायम रही तो मैं दो राज्यों की सीमा पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ सकती हूं." बैठक के बाद बातचीत करते हुए कर्नाटक के मुख्य सचिव अरविंद जाधव ने कहा कि उनके राज्य ने जोर दिया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार पानी छोड़े जाने के पहले विशेषज्ञों की एक केंद्रीय समिति नदी बेसिन क्षेत्र का दौरा करे और "जमीनी वास्तविकताओं, उपलब्ध पेयजल की मात्रा और फसल की स्थिति" का अध्ययन करे. उन्होंने कहा कि इसके बाद केंद्रीय टीम जो कहेगी, हम उसका पालन करेंगे.
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड स्थापित करने की अपनी मांग को एक बार फिर दोहराया. जाधव ने कहा, "इस पर, हमारे मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि इस संबंध में 11 अक्टूबर को एक अदालत के समक्ष सुनवाई होनी है और बोर्ड गठित करने के मुद्दों पर वहां फैसला होने दें." विशेषज्ञ समिति भेजे जाने की कर्नाटक की मांग पर शेखर ने कहा कि कानून में इस संबंध में कोई प्रावधान नहीं है और इस मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश में इस बात का कोई जिक्र नहीं है.
उमा भारती ने यह भी कहा कि कर्नाटक सरकार ने उनके मंत्रालय से अनुरोध किया कि कावेरी नदी में पानी की उपलब्धता का जायजा लेने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की जाए. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस पर जोर दिया. लेकिन तमिलनाडु ने इस पर अपनी सहमति नहीं दी. उन्होंने कहा कि अंतत: अदालत के बाहर कोई समझौता नहीं हो सका.
उन्होंने कहा, "अब एक बार फिर मामला माननीय उच्चतम न्यायालय के सामने है." करीब तीन घंटे चली बैठक में उमा भारती और सिद्धारमैया के अलावा तमिलनाडु के लोक निर्माण मंत्री ई के पलानीस्वामी, दोनों राज्यों के मुख्य सचिव, केंद्रीय जल संसाधन सचिव शशि शेखर और केंद्रीय जल आयोग के अधिकारी भी शामिल हुए.
उमा भारती ने कहा कि बैठक में दोनों राज्यों द्वारा रखे गए विचारों पर मंत्रालय ने गौर किया. उच्चतम न्यायालय में इस मामले में कल सुनवाई होगी और बैठक के बारे में रिपोर्ट पेश की जाएगी. कावेरी नदी के पानी को लेकर बेंगलुरू, मैसूर और मांड्या सहित दोनों राज्यों में तनावपूर्ण स्थिति का जिक्र करते हुए उमा भारती ने शांति सुनिश्चित करने और एक दूसरे के लोगों का ख्याल रखने की अपील की.
उन्होंने भावनात्मक अपील करते हुए कहा, "अगर समस्या कायम रही तो मैं दो राज्यों की सीमा पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ सकती हूं." बैठक के बाद बातचीत करते हुए कर्नाटक के मुख्य सचिव अरविंद जाधव ने कहा कि उनके राज्य ने जोर दिया कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार पानी छोड़े जाने के पहले विशेषज्ञों की एक केंद्रीय समिति नदी बेसिन क्षेत्र का दौरा करे और "जमीनी वास्तविकताओं, उपलब्ध पेयजल की मात्रा और फसल की स्थिति" का अध्ययन करे. उन्होंने कहा कि इसके बाद केंद्रीय टीम जो कहेगी, हम उसका पालन करेंगे.
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड स्थापित करने की अपनी मांग को एक बार फिर दोहराया. जाधव ने कहा, "इस पर, हमारे मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि इस संबंध में 11 अक्टूबर को एक अदालत के समक्ष सुनवाई होनी है और बोर्ड गठित करने के मुद्दों पर वहां फैसला होने दें." विशेषज्ञ समिति भेजे जाने की कर्नाटक की मांग पर शेखर ने कहा कि कानून में इस संबंध में कोई प्रावधान नहीं है और इस मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश में इस बात का कोई जिक्र नहीं है.
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