उमर ख़ालिद (फाइल चित्र)
नई दिल्ली:
कश्मीर में मारे गए हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के पक्ष में एक पोस्ट लिखकर जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। हालांकि रविवार सुबह फेसबुक पर किए गए इस पोस्ट को खालिद ने दोपहर तक हटा दिया था और उसकी जगह एक और पोस्ट कर उन्होंने तंज भरे लहज़े में अपने पहले पोस्ट के लिए माफी मांगी।
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कश्मीर के मौजूदा हालात
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खालिद ने इस नई पोस्ट में लिखा 'ट्रोलर सेना, मैं अपनी हार मानता हूं। ज़ाहिर है इतनी भारी संख्या में एक साथ मुझे ट्रोल करने वालों का भला मैं कैसे सामना कर पाता। हां, मैं गलत था, मुझे तो आपके साथ मिलकर उसकी मौत का जश्न मनाना चाहिए। गद्दार, आतंकी, उग्रवादी...मुझे भी आपके सुर में सुर मिलाना चाहिए था। मुझे माफ कीजिए, मैं आपसे माफी चाहता हूं। कल से मैं हमारे राष्ट्रवादी अहम् को संतुष्ट करने में लग जाऊंगा। मैं हत्या, बलात्कार, प्रताड़ना, गुमशुदगी, AFSPA और ऐसी हर बात का जश्न मनाऊंगा। सिर्फ बुरहान वानी ही क्यों, मैं समीर राह की हत्या की भी सफाई दूंगा - वो 12 साल का लड़का जिसे 2010 में पीट पीटकर मार डाला गया था। असिया और नीलोफर का भी शोपियां में रेप और कत्ल नहीं हुआ था, वो पास के नाले में डूबकर मर गईं थीं। 17 साल का तुफैल मट्टो भी मरने के ही लायक था - आखिर वो प्रदर्शनकारियों के इर्द-गिर्द कर क्या रहा था - गलत वक्त पर गलत जगह था - उसी की गलती थी। और हां हंदवाड़ा और कुनन पोशपोरा में भी कभी कुछ नहीं हुआ।
कल से मैं शुतुरमुर्ग बन जाऊंगा, अपनी धौंस जमाऊंगा, और वह कायर भी बन जाऊंगा जिसे सत्ता की ताकत मिलने के बाद कमज़ोरों पर यातनाएं करने में परम आनंद मिलता है। लेकिन मेरे (होने वाले) साथी देशभक्तों से मेरा सिर्फ एक छोटा सा सवाल है, क्या इन सबसे कश्मीर की सच्चाई बदल जाएगी?'
इससे पहले खालिद ने अपने फेसबुक पोस्ट में चे ग्वेरा के एक कथन का उल्लेख करते हुए कहा 'मेरे गिरने के बाद अगर कोई दूसरा मेरी बंदूक उठाकर लड़ाई जारी रखता है तो मुझे कोई परवाह नहीं है। चे ग्वेरा के यह शब्द बुरहान वानी के शब्द भी हो सकते थे।'
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कश्मीर के मौजूदा हालात
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खालिद ने इस नई पोस्ट में लिखा 'ट्रोलर सेना, मैं अपनी हार मानता हूं। ज़ाहिर है इतनी भारी संख्या में एक साथ मुझे ट्रोल करने वालों का भला मैं कैसे सामना कर पाता। हां, मैं गलत था, मुझे तो आपके साथ मिलकर उसकी मौत का जश्न मनाना चाहिए। गद्दार, आतंकी, उग्रवादी...मुझे भी आपके सुर में सुर मिलाना चाहिए था। मुझे माफ कीजिए, मैं आपसे माफी चाहता हूं। कल से मैं हमारे राष्ट्रवादी अहम् को संतुष्ट करने में लग जाऊंगा। मैं हत्या, बलात्कार, प्रताड़ना, गुमशुदगी, AFSPA और ऐसी हर बात का जश्न मनाऊंगा। सिर्फ बुरहान वानी ही क्यों, मैं समीर राह की हत्या की भी सफाई दूंगा - वो 12 साल का लड़का जिसे 2010 में पीट पीटकर मार डाला गया था। असिया और नीलोफर का भी शोपियां में रेप और कत्ल नहीं हुआ था, वो पास के नाले में डूबकर मर गईं थीं। 17 साल का तुफैल मट्टो भी मरने के ही लायक था - आखिर वो प्रदर्शनकारियों के इर्द-गिर्द कर क्या रहा था - गलत वक्त पर गलत जगह था - उसी की गलती थी। और हां हंदवाड़ा और कुनन पोशपोरा में भी कभी कुछ नहीं हुआ।
कल से मैं शुतुरमुर्ग बन जाऊंगा, अपनी धौंस जमाऊंगा, और वह कायर भी बन जाऊंगा जिसे सत्ता की ताकत मिलने के बाद कमज़ोरों पर यातनाएं करने में परम आनंद मिलता है। लेकिन मेरे (होने वाले) साथी देशभक्तों से मेरा सिर्फ एक छोटा सा सवाल है, क्या इन सबसे कश्मीर की सच्चाई बदल जाएगी?'
जेएनयू में अफज़ल गुरु पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान खालिद चर्चा में आए थे
इससे पहले खालिद ने अपने फेसबुक पोस्ट में चे ग्वेरा के एक कथन का उल्लेख करते हुए कहा 'मेरे गिरने के बाद अगर कोई दूसरा मेरी बंदूक उठाकर लड़ाई जारी रखता है तो मुझे कोई परवाह नहीं है। चे ग्वेरा के यह शब्द बुरहान वानी के शब्द भी हो सकते थे।'
खालिद ने हालांकि कुछ घंटे बाद अपने पोस्ट को हटा लिया। उन्होंने वानी को बहादुर बताते हुए उसकी तारीफ करते हुए कहा था 'बुरहान मौत से नहीं डरता था, वह गुलामी के साये में रहने वाली जिंदगी से डरता था। वह इससे नफरत करता था। वह आजाद इंसान की तरह जिया, आजाद मरा..। बुरहान, तुमको श्रद्धांजलि. मैं कश्मीर के लोगों के साथ हूं।'
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