यह ख़बर 13 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

मेरठ लव जिहाद मामले में यू−टर्न, लड़की ने गैंगरेप की शिकायत वापस ली

मेरठ:

'लव जिहाद' विवाद ने आज उस समय एक नया मोड़ ले लिया जब 22 वर्षीय युवती ने कहा कि न तो उसका अपहरण और बलात्कार किया गया था और न ही उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया था, बल्कि वह अपनी मर्जी से दूसरे समुदाय के अपने प्रेमी के साथ गई थी।

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के खरखौदा के इस विवाद को 'लव जिहाद' के रूप में पेश किया गया था और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उप चुनावों में भाजपा ने इस मुद्दे का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की थी। पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) कैप्टन एमएस बेग ने आज बताया कि रविवार को खरखौदा थाने में युवती के पिता ने अपनी पुत्री की गुमशुदगी की तहरीर दी थी। पुलिस उसकी तलाश में ही जुटी थी। इसी बीच, युवती खुद मेरठ के महिला थाने में पहुंच गई। उसने अपने बयान में दावा किया कि उसे अपने माता-पिता से जान का खतरा है इसलिए वह पुलिस की शरण में आई है।

युवती के बयान के बाद उसे सिटी मजिस्ट्रेट सत्यप्रकाश राय की अदालत में पेश किया गया, जहां उसने कहा कि वह एक मुस्लिम युवक के साथ अपनी मर्जी से गई थी। उसके घर वाले नाराज हैं। युवती के अनुसार उसको अपने परिवार वालों से जान का खतरा है इसलिए वह वापस अपने घर नहीं जाएगी। युवती के बयान दर्ज होने के बाद अदालत ने युवती को नारी निकेतन भेजने के आदेश दिए।

उधर, युवती के पिता ने अपनी बेटी के बयान का खंडन किया और उस पर बयान बदलने के लिए दबाव पडने का आरोप लगाया।

इस बीच, उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि उसने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि वह आरोपियों पर आंच न आने दे। उन्होंने इसकी सीबीआई जांच की मांग की।

ऐसा प्रतीत होता है कि उपचुनाव के दौरान भाजपा के प्रचार को कोई फायदा नहीं हुआ था और वह 11 में से तीन सीट ही जीत सकी थी। भाजपा सांसद ने उस वक्त 'लव जिहाद' अभियान चलाया था। बाद में पार्टी ने उससे दूरी बना ली थी।

युवती ने अब कहा है कि वह अपने घर से भाग गई थी, क्योंकि 'उसकी जान को खतरा था।' उसने आरोप लगाया कि 'उसे पीटा भी गया।'

पुलिस ने बताया कि लड़की का बयान एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करने के बाद उसकी सुरक्षा के लिए उसे नारी निकेतन भेज दिया गया।

मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ओमकार सिंह ने बताया, 'अभी वह सुबह आठ बजे महिला पुलिस स्टेशन आई और उसने बताया कि वह अपनी इच्छा से एक लड़के के साथ गई थी। लेकिन, मामले में पहले ही आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है और मामला अदालत में लंबित है।'

सिंह ने बताया, 'उसने महिला पुलिस अधिकारी को बताया कि उसे अपने मां-बाप से जान का खतरा है। इस आधार पर, हमने महिला को कार्यकारी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया और उसने (कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने) महिला का बयान रिकॉर्ड किया। इसके बाद उसे सुरक्षा के लिए नारी निकेतन भेजा गया।'

भाजपा ने यह मुद्दा अगस्त में उठाया था। उपचुनाव के पार्टी प्रभारी योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा नेताओं ने खास कर उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में इस मुद्दे का लाभ उठाने की कोशिश की थी।

लड़की ने तीन अगस्त को आरोप लगाया था कि उसका अपहरण कर लिया गया, उसका सामूहिक बलात्कार किया गया और उसे इस्लाम धर्म में जबरिया धर्मांतरित कराया गया। तीन अगस्त को लड़की के पिता ने खरखौदा पुलिस थाने में ग्राम प्रधान नवाब खान, धर्मगुरू सनाउल्ला, उसकी पत्नी समरजहां और बेटी निशात के खिलाफ अपहरण और बलात्कार की एक शिकायत दर्ज कराई।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि नवाब और पांच अन्य ने 23 जुलाई को उसकी बेटी का अपहरण कर लिया और उसे एक मदरसा में ले जाया गया।

लड़की के पिता ने आरोप लगाया था कि मदरसा में उसकी बेटी का बलात्कार किया गया और अवैध रूप से रखा गया। उन्होंने (आरोपियों ने) धर्मांतरण से संबंधित कुछ कागजात पर जबरन उसके दस्तखत करा लिए।

तब मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए थे। इस मुद्दे से खरखौदा और अतरादा इलाकों में तनाव फैल गया था और एक समुदाय विशेष की भीड़ ने दूसरे समुदाय के सदस्यों के घर पर हमले किए थे और पथराव किया था। हालात को काबू में लाने के लिए पुलिस और पीएसी तैनात की गई थी।

तब, केंद्र ने उत्तर प्रदेश से इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की थी जबकि लड़की के परिवार ने सीबीआई जांच की मांग की थी। बेग ने बताया कि लड़की के पिता की शिकायत के बाद मामले में दस लोगों को गिरफ्तार किया गया था और जांच चल रही थी। तभी लड़की ने बयान बदल दिया।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरोप लगाया, 'भाजपा ने कोई किताबी मामला नहीं बनाया है। अब यह उजागर हो गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशों पर मेरठ पुलिस अपराधियों के बचाव के लिए आ गई है।' उन्होंने कहा कि महिला ने धारा 164 के तहत बयान दिया था जिसमें उसने कहा था कि वह बिना किसी दबाव के बयान दे रही थी।'

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बाजपेयी ने कहा, 'और मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए बयान से पीछे हटना जिस अपराध के तहत आता है, कार्रवाई की जानी चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर इस मामले को बिगाड़ा गया है। मामले की जांच सीबीआई या किसी बाहरी एजेंसी से कराई जानी चाहिए।'