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This Article is From Jan 02, 2019

सबरीमाला मंदिर में टूटी सैकड़ों साल पुरानी परंपरा, 40 साल की दो महिलाओं ने प्रवेश कर बनाया इतिहास, देखें VIDEO

केरल के सबरीमाला मंदिर का इतिहास टूट गया है. सूत्रों की मानें तो सबरीमाला मंदिर में दो महिलाओं की एंट्री हुई है और इस तरह से मंदिर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है

सबरीमाला मंदिर में दो महिलाओं ने ली एंट्री

नई दिल्ली:

केरल के सबरीमाला मंदिर का इतिहास टूट गया है. सूत्रों की मानें तो सबरीमाला मंदिर में 50 साल से कम उम्र की दो महिलाओं की एंट्री हुई है और इस तरह से मंदिर के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है. बता दें कि 10 से 50 साल की महिलाओं की एंट्री पर मंदिर की ओर से बैन है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया था. मगर इसके बाद भी मंदिर ने यह बैन बरकरार रखा. हालांकि, बुधवार को पुलिस सूत्रों ने कहा कि 50 साल से कम उम्र की दो महिलाओं ने मंदिर में एंट्री ली है.

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पुलिस सूत्रों ने कहा कि करीब 40 साल की उम्र की दो महिलाओं ने आज सुबह मंदिर में प्रवेश किया. महिलाओं ने करीब आधी रात में मंदिर की ओर चढ़ाई शुरू की और करीब 3.45 बजे मंदिर पहुंच गईं. भगवान अय्यपा के दर्शन करने के बाद वे दोनों लौट गईं. 

बताया जा रहा है कि ये महिलाएं पुलिस की टुकड़ी के साथ थीं. पुलिसकर्मी वर्दी और सादे ड्रेस में थे. समाचार एजेंसी एएनआई ने वीडियो भी जारी किया है. इसके मुताबिक, जिन दो महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश किया है, उसमें से एक का नाम बिंदु और दूसरी महिला का नाम कनकदुर्गा है.

अय्यप्पा धर्म सेना के नेता और कार्यकर्ता राहुल ईश्वर ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह सही है. उन्होंने गुत्प तरीके से किया होगा, जैसे ही हमें पता चलेगा, हम उचित कार्रवाई करेंगे. 

शुद्धि अनुष्ठान के लिए केरल का सबरीमाला मंदिर बंद किया गया है. वहीं, केरल के सीएम पिनराई विजयन ने कहा कि आज, दो महिलाओं ने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश किया. हमने पुलिस को मंदिर में प्रवेश करने की इच्छा रखने वाली किसी भी महिला को हर संभव सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्थायी आदेश जारी किए थेः

बता दें कि इससे पहले 24 दिसंबर के आस-पास भी सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन की चाह रखने वाली तमिलनाडु की 11 महिलाओं के एक समूह को प्रदर्शनकारियों के हिंसक होने पर यात्रा को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इस दौरान पुलिस ने दो दर्जन प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया था. महिलाओं के इस समूह का नेतृत्व साल्वी कर रही थीं, जिनका संबंध तमिलनाडु के मनिति महिला समूह से है. भक्तों द्वारा पहाड़ी पर चढ़ने से उन्हें रोकने और भगाने पर इन महिलाओं को पंबा से मदुरै के लिए वापस जाने को बाध्य होना पड़ा.

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सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बीती 28 सितंबर को हर आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने का फैसला किए जाने के बाद से सबरीमाला में हिंदू समूहों द्वारा लगातार इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. उनका कहना है कि यह फैसला धार्मिक परंपरा के खिलाफ है. 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा:

28 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है. यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है और मंदिर में प्रवेश से रोका जा रहा है. यह स्वीकार्य नहीं है. 
 

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