यह प्रशांत किशोर का असर हो सकता है, और 'दीदी के बोलो' कार्यक्रम के तहत उनकी छवि बदलने की कोशिश का हिस्सा, या यह ममता बनर्जी के स्टाइल में सोच-समझकर लाया गया बदलाव भी हो सकता है. सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने वह काम किया, जो उन्होंने पिछले कई सालों से नहीं किया था. वह हावड़ा में एक झुग्गी बस्ती में गईं, झोंपड़ियों में पहुंचीं, और वहां रहने वालों से उनकी समस्याओं के बारे में बातचीत की.
उन्हें सबसे ज़्यादा गुस्सा जिस बात पर आया, वह था वॉर्ड 29 में नंबर 2 राउंड टैंक पुरानाबस्ती के रहने वाले लगभग 400 लोगों के लिए कुल दो शौचालयों की व्यवस्था.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री अपनी प्रशासनिक बैठक के लिए जाते वक्त इस बस्ती में रुक गई थीं. जब वह बैठक में पहुंचीं, तो उन्होंने शहरी विकास एवं निगम मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम की क्लास लगा दी.
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फिरहाद हकीम को उनके उपनाम से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "बॉबी, आपके विभाग को बताया गया था... मैंने यहां आते हुए एक बस्ती का दौरा किया... चार सौ परिवार, दो शौचालय व गुसलखाने... क्यों...? हम झुग्गी-झोंपड़ी विकास के लिए पैसा देते हैं... पार्षद कौन है...? वह क्या कर रहे हैं...?"
कुछ पल खामोशी रही. फिर किसी ने मुख्यमंत्री को बताया कि स्थानीय तृणमूल पार्षद जून, 2017 से हत्या के आरोप में गिरफ्तार है.
लेकिन ममता बनर्जी इससे विचलित नहीं हुईं, और उन्होंने फिरहाद हकीम से कहा, "तो पार्षद किसी मामले में जेल में हैं... लेकिन निगम तो है... उसका प्रशासक भी है... आप अपने वॉर्डों की निगरानी क्यों नहीं कर रहे हैं...? मैं आपसे कह रही हूं, सात दिन के भीतर आपको सभी झुग्गी बस्तियों का दौरा कर उनकी समस्याओं को दूर करना होगा..."
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हावड़ा नगर निगम इस वक्त एक प्रशासक के तहत काम कर रही है, क्योंकि पिछले साल दिसंबर में निर्धारित चुनाव अब तक नहीं हो पाए हैं.
उन्होंने गरजते हुए कहा, "ज़्यादा शौचालय - कम से कम छह या आठ - बनाकर देने में क्या समस्या है...? 400 लोगों के लिए दो शौचालय... क्या आप कल्पना कर सकते हैं, क्या होता, अगर यह हालत आपके घर में होती...? अगर प्रावधान है, तो हम उपलब्ध क्यों नहीं करवा सकते...? नागरिक इकाई प्रशासक के तहत काम कर रही है... आप अपना काम तुरंत शुरू कीजिए..."
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ममता बनर्जी इसके बाद कोलकाता से लगभग 200 किलोमीटर दूर पूर्वी मिदनापुर जिले में समुद्र किनारे बसे लोकप्रिय पर्यटक कस्बे दिघा पहुंचीं. यहां भी उन्होंने रूटीन से हटकर खुले में बैठना पसंद किया, और उनके साथ पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता थे, और उन्होंने मछुआरों से बात की, उनकी समस्याएं पूछीं, और उनके बच्चों की पढ़ाई के बारे में भी बात की.
इस दौरे पर मीडिया उनके साथ था, लेकिन फिर भी मीडिया के लिए उनकी बातचीत की तस्वीरें और एक वीडियो तृणमूल कांग्रेस के व्हॉट्सऐप ग्रुप पर अपलोड किया गया.
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ऐसा साफ-साफ तो नहीं दिख रहा कि यह सब प्रशांत किशोर के ग्रुप IPAC का आइडिया था, लेकिन भले ही उन्होंने अपनी मर्ज़ी से ऐसा किया हो, या प्रशांत के कहने से, यह स्पष्ट है कि ममता बनर्जी खुद को बदल रही हैं. वह अब पहले से ज़्यादा नर्मदिल, ज़्यादा चिंता करने वाली तथा अधिक मानवीय ममता बन रही हैं. गुस्से और अस्थिरता के बिना ममता...
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