प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को कहा कि सच्चा धर्म नफरत और विभाजन पर नहीं, बल्कि सभी धर्मों के सम्मान और सहिष्णुता पर आधारित होता है।
स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'स्वामीजी की जयंती मनाने, उनके विचारों और शिक्षाओं का सम्मान करने तथा उनकी स्मृति को सम्मान देने का तब तक कोई मतलब नहीं है, जब तक हम उन मूल्यों को नहीं अपनाते हैं जिनकी उन्होंने पैरवी की थी।'
उन्होंने कहा, 'उनका सच्चा और हमारे देश के लिए प्रासंगिक संदेश यही है कि सच्चा धर्म और सच्ची धार्मिकता नफरत एवं विभाजन के आधार पर नहीं हो सकती, बल्कि यह दूसरे धर्मों के लिए परस्पर सम्मान और सहिष्णुता पर आधारित होती है।'
शिकागो में 1893 में विश्व धर्म संसद में दिए विवेकानंद के ऐतिहाषिक भाषण का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'स्वामी विवकेकानंद ने कहा था कि सांप्रदायिकता, कट्टरता और धर्मांधता इस सुंदर भूमि पर लंबे समय तक रही हैं। उन्होंने इस धरती को हिंसा से भर दिया, अक्सर इसे मानव रक्त से भिगो दिया, सभ्यता को नष्ट कर दिया और संपूर्ण देशों को तहस नहस कर दिया।' उन्होंने कहा, 'अगर इस तरह के भयावह दानव नहीं होते तो मानव समाज आज की तुलना में कहीं ज्यादा आधुनिक होता।'
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